SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 264
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [२५५ मुख चिता की लपटों की तरह आग फेंक रहे थे । वज्रपात के शब्दों की तरह वे क्रूर अट्टहास-सा कर रहे थे । लाल केश, लाल नेत्रों के कारण वे जलते हुए पहाड़ की भांति लग रहे थे । उनकी निकली हुई जीभ वृक्ष- कोटर से निकक्षते सर्प-सी लग रही थीं । उनके जबड़े मोटे और दांत दीर्घ थे । मधुमक्खियाँ जिस प्रकार मधु की ओर दौड़ती हैं वैसे ही वे आर्यपुत्र की ओर दौड़े | ( श्लोक १८३ - २०१ ) ' किन्तु आर्यपुत्र मंच के अभिनेताओं की भांति उन विकराल निशाचरों को अपनी ओर आते देखकर जरा भी भयभीत नहीं हुए । जब यक्ष ने आर्यपुत्र को भयभीत नहीं पाया तो यम-पाश की भांति पाश से उन्हें बांध दिया । हस्ती जैसे द्राक्षालता के कुञ्ज को सहज ही तोड़ डालता है उसी प्रकार उन्होंने बड़ी सहजता से उस बन्धन को तोड़कर स्वयं को मुक्त कर लिया । इस प्रकार विफल होकर सिंह जैसे पर्वत पर अपनी पूँछ पटकता है उसी प्रकार वह आर्यपुत्र पर मुष्ठि प्रहार करने लगा । क्रुद्ध महावत जैसे अंकुश द्वारा हस्ती को आहत करता है उसी भाँति आर्यपुत्र अपनी वज्र - सी मुष्ठि द्वारा उस यक्ष को आहत करने लगे । मेघ जैसे विद्युत द्वारा पर्वत पर आघात करता है उसी प्रकार यक्ष ने अपने लौह मुद्गर से आर्यपुत्र पर आघात किया तब उन्होंने एक चन्दन वृक्ष उत्पाटित कर यक्ष पर फेंका । उस आघात से पूर्णतः निर्जीव होकर वह सूखे वृक्ष की तरह जमीन पर गिर पड़ा । ( श्लोक २०२ - २०८ ) 'तब उस यक्ष ने वृहद् पत्थर से एक पहाड़ को उठा कर आर्यपुत्र पर फेंका। उस आघात से आर्यपुत्र मूच्छित हो गए और सन्ध्या समय जैसे कमल पटल बन्द हो जाते हैं वैसे ही नेत्र बन्द कर लिए । ज्ञान लौटने पर प्रबल वायु जैसे मेघ को छिन्न-भिन्न कर देती है वैसे ही उस पर्वत को हस्त प्रहार से विदीर्ण कर डाला । इतना ही नहीं आपके मित्र ने फिर तो हस्त दण्ड के प्रहार से उस यक्ष को चूर-चूर कर डाला; किन्तु देव-योनि में होने के कारण उसकी मृत्यु नहीं हुई और वह अंधड़ की तरह वहां से भाग गया । मृत्यु से पूर्व सूअर जैसे चीत्कार करता है उसी प्रकार वह भी चिल्लाने लगा । देवियाँ
SR No.090515
Book TitleTrishashti Shalaka Purush Charitra Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGanesh Lalwani, Rajkumari Bengani
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1992
Total Pages278
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, & Biography
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy