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________________ ६०] छह वर्षधर पर्वतों ने ही जैसे मनुष्य देह धारण कर रखी हो इस प्रकार वे पाँच राजपुत्र व सुयश क्रमशः बढ़ने लगे । वे महापराक्रमी राजपुत्र जब राजपथ पर प्रश्व धावित करते तो सूर्यपुत्र रेवन्त की भाँति लगते । कला शिक्षा देने वाले प्राचार्य तो साक्षी मात्र थे । कारण, महान् ग्रात्मानों के गुण अपने से ही उत्पन्न होते हैं । वे स्व-हाथों से बड़े - बड़े पर्वत को भी शिलाखण्ड की भाँति पकड़ लेते । इसलिए उनकी बाल क्रीड़ाओं को करने में अन्य कोई भी सक्षम नहीं था । ( श्लोक ७९७ -८०० ) एक दिन लोकान्तिक देव श्राकर वज्रसेन को बोले - 'हे प्रभु ! धर्म तीर्थ प्रवर्तन करिए । धर्म तीर्थ प्रारम्भ करिए।' (श्लोक ८०१ ) तब वज्रसेन ने वजू की भाँति पराक्रमी पुत्र वज्रनाभ को सिंहासन पर बैठाकर एक वर्ष तक दान देकर लोगों को उसी प्रकार तृप्त किया जैसे मेघ वर्षा कर धरती को जलमय कर देता है । किर देवता, असुर प्रौर मनुष्यों के अधिपति वज्रसेन की प्रव्रज्या ग्रहण उपलक्ष में एक शोभायात्रा निकाली । चन्द्रमा जैसे आकाश को सुशोभित करता है वज्रसेन ने भी उसी प्रकार नगर के बाहरी उद्यान को सुशोभित किया । वहाँ उन्होंने स्वयंबुद्ध दीक्षा ग्रहण की। दीक्षा ग्रहण करने के साथ-साथ उन्हें मनः पर्यव ज्ञान उत्पन्न हुआ । फिर आत्म-स्वभाव में रमण करते हुए समताधारी, ममताहीन निष्परिग्रही वे नाना प्रकार के अभिग्रह धारण कर पृथ्वी पर विचरण करने लगे । ( श्लोक ८०२ - ८०६ ) उधर वज्रनाभ ने अपने प्रत्येक भाई को पृथक्-पृथक् राज्य दिया । वे चारों भाई उसकी सेवा में सदा तत्पर रहते थे । इससे लोकपालों से जैसे इन्द्र शोभा पाते हैं वैसे ही वे भी शोभा पाने लगे । अरुण जैसे सूर्य का सारथी है उसी तरह सुयश उनका सारथी हो गया । महारथियों को अपना जैसा ही सारथी बनाना उचित है । ( श्लोक ८०७-८०८ ) वज्रसेन की घातीकर्म रूपी मलिनता दूर होने पर, दर्पण मलिनता हट जाने से जिस प्रकार उज्ज्वल हो जाता है उसी प्रकार उन्हें उज्ज्वल केवल ज्ञान प्राप्त हुआ । ( श्लोक ८०९ ) उसी समय वज्रनाभ राजा की आयुधशाला में सूर्य मण्डल को भी तिरस्कृत करने वाला चक्ररत्न उत्पन्न हुआ। साथ ही
SR No.090513
Book TitleTrishashti Shalaka Purush Charitra Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGanesh Lalwani, Rajkumari Bengani
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1989
Total Pages338
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, & Biography
File Size24 MB
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