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________________ नाना प्रकार के दुःख भोगते हुए देखते हैं। जलचर जीवों में कुछ जलचर जीव अन्य जलचर जीव का भक्षण करते हैं, अन्य को धीवर जाल में आबद्ध कर लेता है। कुछ बक के भक्ष्य बन जाते हैं। चमड़े के लिए मनुष्य उनका चमड़ा उतारता है, मांस के लिए कुछ भोजनविलासीगण उन्हें भूजते हैं और चर्बी के लिए पकाते हैं। __ (श्लोक ५६९-५७२) 'स्थलचर जीव में मांस की प्राशा से बलवान, सिंहादि दुर्बल हरिणादि की हत्या करते हैं, शिकार करने वाले मांस के लिए अथवा मात्र शिकार के प्रानन्द के लिए ही उनका वध करते है। बलद आदि पशुगण क्षुधा, पिपासा, शीत, ग्रीष्म सहन करते हुए बहुत भार वहन करते हैं और कशा, अंकुश आदि का आघात सहन करते हैं।' (श्लोक ५७३-५७५) ___ 'नभचर जीवों में तीतर, तोता, कबूतर प्रादि पक्षियों को मांसभोजी बाज, गिद्ध, सिंचान प्रादि पक्षी पकड़ कर खा जाते हैं। पक्षी पकड़ने वाले विभिन्न प्रकार से उन्हें पकड़ते हैं और तरह-तरह से निर्यातन करते हैं, हत्या करते हैं। तिर्यक पक्षियों को शस्त्रादि जल आदि का भय रहता है। पूर्व कर्मों के बन्धन एवं उनके विपाक को टाला नहीं जा सकता।' (श्लोक ५७६-५७८) ___ 'जो जीव मनुष्य योनि में जन्म लेते हैं उनमें अनेक जन्म से ही अन्धे, बहरे, पंगु, खंज और कुष्ठ रोगग्रस्त होते हैं, अनेक चोर और परस्त्रीगामी बनकर दण्डित होते हैं-नारक जीवों की भांति दुःख भोग करते हैं। अनेक नाना प्रकार के रोगों से ग्रस्त होकर, अपने पुत्रों द्वारा उपेक्षित होते हैं। नौकर-क्रीतदासी की भांति अनेक बिकते हैं, खच्चर की भांति मालिक द्वारा दिए दण्ड को पाते हैं, अपमानित होते हैं । अनेक भार वहन करते हैं, क्षुत् पिपासा का दु:ख सहन करते हैं।' (श्लोक ५७९-५८२) 'परस्पर झगड़ा करके हार जाने पर अपने स्वामी के अधीन रहने के कारण देवता भी सदा दुःखी रहते हैं। स्वभाव से भयंकर और अपार समुद्र में जिस प्रकार अपार जल-जन्तु हैं उसी प्रकार संसार रूपी समुद्र में दुःख रूपी अपार जल-जन्तु हैं। भूत-प्रेत के स्थान में जिस प्रकार मंत्राक्षर रक्षक है उसी प्रकार जिनोपदिष्ट धर्म संसार रूपी दुःख से हमारी रक्षा करता है। अत्यधिक भार से
SR No.090513
Book TitleTrishashti Shalaka Purush Charitra Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGanesh Lalwani, Rajkumari Bengani
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1989
Total Pages338
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, & Biography
File Size24 MB
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