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________________ [४३ 'कच्चे सूत से बुने हुए पलंग पर सोने वाला मनुष्य जिस प्रकार धरती पर गिर पड़ता है उसी प्रकार विषयसेवनकारी मनुष्य भी संसार रूपी धरती पर आ गिरता है। संसार में पुत्र-मित्र और पत्नी आदि का समागम (पन्थशाला में) एक रात्रि के लिए मिले पथिकों के स्नेहसमागम की भांति है। चौरासी लक्ष योनियों में परिभ्रमणकारी जीव जो अनन्त दुःख भोग करता है वह उसके स्वकर्मानुसार ही होता है।' (श्लोक ५५६-५५८) तब निर्नामिका ने करबद्ध होकर जिज्ञासा की-'हे भगवन्, राजा और दरिद्र में आप समभावी हैं इसीलिए मैं आपसे पूछती हूं-आपने बताया संसार दु:खों का घर है; किन्तु क्या मुझसे भी अधिक दुःखी इस संसार में कोई है ?' (श्लोक ५५९-५६०) केवली भगवान् ने प्रत्युत्तर दिया-'हे दुःखिनी बालिका, तुम्हें ऐसा क्या दुःख है ? तुमसे भी अधिक दुःखी जीव हैं। उनके विषय में बताता हैं, सुन-जो जीव अपने मन्द कर्म के लिए नरक . गति प्राप्त करते हैं उनमें से अनेक का शरीर भेदन किया जाता है, अनेक का छेदन किया जाता है। अनेक की देह से मस्तक पृथक किया जाता है। अनेक जीव परमधामी देवों द्वारा घानी में तिल की तरह पीसे जाते हैं, अनेक को काष्ठ की भांति तीक्ष्ण यारों से चीरा जाता है। किसी को लौह पात्र की तरह हथौड़ी से पीटा जाता है। वे असुर कइयों को शूल के बिछौने में सुलाते हैं, किसी को पत्थर पर कपड़े की तरह पटकते हैं और अनेकों को साग की तरह टकड़े-टकड़े काट डालते हैं। किन्तु, उनका शरीर वैक्रिय होने के साथ-साथ जुड़ जाता है। इस तरह परमधामी जीब पुनः उन्हें वही दुःख देते हैं। इस प्रकार दुःख भोग करते-करते वे करुण चीत्कार करते रहते हैं। वहां जो जल चाहते हैं उन्हें तप्त सीसे का रस पीने के लिए देते हैं, जो छाया चाहते हैं उन्हें असिपत्र वृक्ष के नीचे बैठाया जाता है। वे पूर्व कर्म को स्मरण करते-करते एक मुहर्त के लिए भी दुःख से रहित नहीं होते। हे वत्सा, उन नपुसक नारकीय जीवों का जो दुःख है उसका वर्णन ही मनुष्य को कँपा देता है। (श्लोक ५६१-५६८) इन समस्त तारकों की बात तो दूर रही ये जितने भी जलचर, स्थलचर और खेचर जीव हैं उन्हें भी हम पूर्व कर्मानुसार
SR No.090513
Book TitleTrishashti Shalaka Purush Charitra Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGanesh Lalwani, Rajkumari Bengani
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1989
Total Pages338
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, & Biography
File Size24 MB
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