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________________ [३२५ पड़ी । तब वे सोचने लगे - 'क्या अलंकारहीन होने पर शरीर के अन्य अंग भी इसी प्रकार शोभाहीन हो जाएँगे ? अतः वे अपने अन्य अलंकार को खोलने लगे । ( श्लोक ७०७-७२३) प्रथम मस्तक से माणिक्य मुकुट उतारा । उससे मस्तक रत्नअंगूठी - सा प्रतीत हुआ । कानों से माणिक्य के कुण्डल खोले । उससे दोनों कान चन्द्र और सूर्य हीन पूर्व और पश्चिम दिक्-से लगने लगे । कण्ठालङ्कार खोलने पर उनका गला जलहीन नदी -सा शोभाहीन लगने लगा । वक्षःस्थल से हार हटाने पर वह नक्षत्रहीन श्राकाश की तरह शून्य हो गया । भुजबन्ध हटाने पर उनके दोनों हाथ लतावेष्टन रहित शाल वृक्ष-सा लगने लगा । हस्तमूल से कड़ा निकाल देने पर वह ग्रामलकहीन प्रासाद-सा लगने लगा । (श्लोक ७२४-७२९)* अन्य अंगुलियों की अंगूठियाँ भी जब उन्होंने खोल दीं तो वे मणिरहित सर्प के फरण-सी लगने लगीं । पाँवों से पाद-कटक खोल देने पर पाँव राजहस्ती के स्वर्णपात रहित दन्त सा लगने लगा । समस्त ग्रलङ्कारों के खोल देने पर देह पत्रहीन वृक्ष-सी लगने लगी । इस प्रकार निज देह को शोभाहीन देखकर महाराज भरत विचार करने लगे - 'हाय ! इस शरीर को धिक्कार है । जिस प्रकार चित्र अंकित कर दीवार को शोभान्वित किया जाता है उसी प्रकार अलकार धारण कर देह की कृत्रिम शोभा की जाती है । भीतर विष्ठादि और बाहर मूत्रादि के प्रवाह से मलिन यह देह विचार करने पर कुछ भी शोभनीय नहीं । कड़ या मिट्टी जिस प्रकार वर्षा के जल को दूषित करती है उसी प्रकार इस देह ने विलेपित किए कर्पूर, कस्तूरी आदि को दूषित किया है । जो विषयों का परित्याग कर तपस्या करते हैं वे तत्त्ववेत्ता पुरुष ही इस शरीर का फल ग्रहण करते हैं।' इस प्रकार विचार करते हुए सम्यक् प्रकार से पूर्व करण के अनुक्रम से वे क्षपक श्रेणी पर प्रारूढ़ हो गए एवं शुक्लध्यान प्राप्त कर मेघों के हट जाने पर जिस प्रकार सूर्य प्रकाशित हो जाता है उसी प्रकार घाती कर्मों को क्षय कर केवल - ज्ञान प्राप्त किया । ( श्लोक ७३०- ७३८ ) उसी समय इन्द्र का आसन कम्पायमान हुप्रा । कारण, अचेतन वस्तु भी महान् समृद्धि को बता देती है । अवधिज्ञान से यह
SR No.090513
Book TitleTrishashti Shalaka Purush Charitra Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGanesh Lalwani, Rajkumari Bengani
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1989
Total Pages338
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, & Biography
File Size24 MB
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