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________________ [३२३ राह मुक्त चन्द्रमा की तरह धीरे-धीरे शोकमुक्त होकर भरत चक्रवर्ती बाहरी विहार भूमि पर विचरण करने लगे। विन्ध्याचल को स्मरण करने वाले गजेन्द्र की तरह प्रभु के चरणों को स्मरण कर दु:खी बने महाराज के पास आकर आत्मीय स्वजन सर्वदा उन्हें प्रसन्न करने लगे । अतः परिवार के प्राग्रह पर वे विनोद उत्पन्नकारी उद्यानों में भी जाने लगे। वहाँ जैसे प्रमीला राज्य हो ऐसी सुन्दरी स्त्रियों के साथ लता मण्डप की रमणीय शय्या में रमण करने लगे। वहाँ कुसुमहरणकारी विद्याधरों की तरह युवकों की पुष्पचयन क्रड़ा कौतुहलपूर्वक देखने लगे। कामदेव की पूजा कर रही हों ऐसी वारांगनाएं फूलों की पोशाक तैयार कर महाराज को उपहार देने लगीं। मानो उनकी उपासना करने के लिए असंख्य श्रुति एकत्र हुए हैं इस भाँति नगर के नर-नारी समस्त शरीर में फूलों के अलंकार पहनकर उनके निकट क्रीड़ा करने लगे। ऋतु देवताओं के एक अधिदेवता हों इस भाँति समस्त शरीर पर फूलों के अलंकार पहनकर उनमें महाराज भरत शोभा पाने लगे। (श्लोक ६९०-६९७) कभी-कभी अपनी पत्नियों को लेकर राजहंस की तरह स्व इच्छा से क्रीड़ा करने के लिए क्रीड़ा वापी पर जाने लगे। हस्ती जिस प्रकार हस्तिनियों सहित नर्मदा नदी पर क्रीड़ा करता है उसी प्रकार वे वहाँ सुन्दरियों के साथ जलक्रीड़ा करने लगे। जल की तरंगों ने जैसे सुन्दरियों से शिक्षा ग्रहण की है इस प्रकार कभी कण्ठ में, कभी बाहुओं में, कभी हृदय में उनका आलिंगन करने लगीं। इससे उस समय कमल के कर्णाभरण प्रौर मुक्ता के कुण्डल धारणकारी महाराज जैसे साक्षात् वरुणदेव हों इस प्रकार शोभा पाने लगे । मानो लीलाविलास के राज्य में महाराज का अभिषेक कर रहे हों इस प्रकार 'पहले मैं, पहले मैं' सोचती हुई स्त्रियाँ उन पर जल ढालने लगीं। जैसे अप्सरा या जलदेवी हों इस प्रकार चतुर्दिक अवस्थित और जलक्रीड़ा में तत्पर रमणियों के साथ चक्री ने बहत समय तक जलक्रीड़ाएं कीं। स्व मुख की स्पर्धा करने वाले कमलों को देखकर जैसे रागान्वित हो गए हों इस भाँति मृगाक्षियों की आँखें लाल हो गयीं। अंगनाओं के अंग से गल-गलकर झरे हुए अंगराग से कर्दमित वह जल यक्षकर्दम की तरह हो गया । चक्रवर्ती बार-बार इस प्रकार क्रीड़ा करने लगे। (श्लोक ६९८-७०५)
SR No.090513
Book TitleTrishashti Shalaka Purush Charitra Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGanesh Lalwani, Rajkumari Bengani
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1989
Total Pages338
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, & Biography
File Size24 MB
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