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________________ १४ सिंहसेन राजा के कुल के अनन्त भगवान् ! आप मुझे १५ सुव्रतादेवीरूप उदयाचल पर के पुत्र, हे धर्मनाथ प्रभो ! करिए । [३२१ मंगलदीप और सुषमादेवी के पुत्र अनन्त सुख दें । उदित सूर्य रूप और भानु राजा मेरी बुद्धि को धर्म में स्थापित १६ विश्वसेन राजा के कुल के लिए अलङ्कारस्वरूप और ग्रचिरा देवी के पुत्र शान्तिनाथ, आप मेरे कर्म - शान्ति के कारण बनिए । १७ सूर राजा के वंश रूप आकाश में सूर्य तुल्य श्रीदेवी के गर्भ से उत्पन्न और कामदेव का वध करने वाले हे जगत्पति कुंथुनाथ ! आपकी जय हो । १८ सुदर्शन राजा के पुत्र देवी माता रूपी शरदलक्ष्मी के कुमुद तुल्य अरनाथ ! आप मुझे संसार प्रतिक्रम करने का वैभव दान दीजिए । १९ कुम्भ राजा रूप समुद्र में कुम्भ तुल्य और कर्म क्षय में महामल्ल समान प्रभावती देवी से उत्पन्न मल्लिनाथ आप मुझे मोक्षलक्ष्मी प्रदान करें । २० सुमित्र राजा रूपी हिमालय के पद्मद्रह तुल्य और पद्मादेवी के पुत्र हे मुनि सुव्रत प्रभो ! मैं प्रापको नमस्कार करता हूं । २१ वप्रादेवी रूप वज्रखान पृथ्वी से वज्र के समान विजय राजा के पुत्र, जिनके चरण-कमल जगत् के लिए पूज्य हैं ऐसे हे नेमि प्रभो ! मैं आपको नमस्कार करता हूँ । २२ समुद्र (विजय) को प्रानन्दित करने वाले चन्द्र तुल्य शिवादेवी के पुत्र और परम दयालु मोक्षगामी हे श्ररिष्टनेमि ! मैं श्रापको नमस्कार करता हूं । २३ अश्वसेन राजा के कुल - चूड़ामरिण रूप और वामादेवी के पुत्र पार्श्वनाथ ! मैं आपको नमस्कार करता हूं ।
SR No.090513
Book TitleTrishashti Shalaka Purush Charitra Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGanesh Lalwani, Rajkumari Bengani
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1989
Total Pages338
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, & Biography
File Size24 MB
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