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________________ [३१३ 1 अन्य देवों ने मोक्ष मार्ग के अतिथि रूप इक्ष्वाकु वंश के मुनियों को मस्तक पर उठाकर द्वितीय शिविका में ले जाकर रखा एवं अन्य समस्त साधुत्रों को तृतीय शिविका में रखा । प्रभु की शिविका को इन्द्र ने स्वयं उठाया एवं अन्य दोनों शिविकाओं को देवताओं ने उठाया । उस समय अप्सराएँ एक ओर ताल सहित रास कर रही थीं दूसरी और मधुर स्वर से गीत गा रही थीं । शिविका के आगे देव धूपदानी लिए चल रहे थे । धूपदानी के धुएँ के बहाने मानो वे रो रहे हैं ऐसा प्रतीत हो रहा था । कुछ देव शिविकाओं पर पुष्प वर्षा कर रहे थे और कुछ देव प्रसाद की तरह उसे उठा रहे थे । कुछ देव आगे की ओर देवदृष्य का तोरण निर्मित कर रहे थे, कुछ यक्ष कर्दम छिड़क रहे थे । कोई गोफन यन्त्र से उत्क्षित पत्थर की तरह शिविका के आगे लौट रहे थे, कोई 'हे नाथ ! हे नाथ !' कहकर पुकार रहे थे । कोई 'हम अभागे मारे गए' ऐसा कहकर प्रात्मनिन्दा कर रहे थे । कोई याचना कर रहे थे - 'हे देव, अब हमारा धर्मसंशय कौन दूर करेगा ?' कोई 'अन्धे जैसे अब हम कहते हुए पश्चात्ताप कर रहे थे और कोई कह रहा तुम फट जाओ, हम तुममें समा जाएँ ।' कहाँ जाएँगे ?' था - ' - 'हे पृथ्वी, ( श्लोक ५२२-५४४) ऐसा व्यवहार करते हुए, वाद्य बजाते हुए देव और इन्द्र शिविका को चिता के पास ले आए। वहाँ कृतज्ञ इन्द्रपुत्र जैसे पिता के शरीर को रखता है उसी प्रकार प्रभु के शरीर को धीरे-धीरे पूर्व दिशा की चिता पर रखा । अन्य देवतानों ने भी सहोदर की भाँति इक्ष्वाकु कुल के मुनियों का शरीर दक्षिण दिशा की चिता पर रखा और व्यवहारविद् अन्य देवताओं ने भी प्रवशिष्ट मुनियों की देह को पश्चिम दिशा की चिता पर रखा। फिर इन्द्र की प्राज्ञा से अग्निकुमार देवताओं ने चिताओं में अग्नि संयुक्त की एवं वायुकुमार देवताओं ने वायु प्रवाहित की । अतः अग्नि चारों ओर से प्रज्वलित हो गयी । देवगण घड़े भर-भर कर घी, मधु श्रौर कर्पूर डालने लगे । जब अस्थियों को छोड़कर ग्रवशिष्ट समस्त धातु जल गए तब मेघकुमार देवों ने क्षीरसमुद्र के जल से चिताओं की अग्नि शान्त की। सौधर्मेन्द्र ने निज विमान में प्रतिमा की भाँति पूजा करने के लिए प्रभु की ऊपरी दाहिनी दाढ़ ग्रहण की और ईशानेन्द्र ने ऊपरी बायों दाढ़ ली । चमरेन्द्र ने दाहिनी निचली दाढ़ ग्रहण की और
SR No.090513
Book TitleTrishashti Shalaka Purush Charitra Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGanesh Lalwani, Rajkumari Bengani
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1989
Total Pages338
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, & Biography
File Size24 MB
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