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________________ [३०१ प्रभु भरत द्वारा जिज्ञासा नहीं करने पर भी बोले - 'चक्रवर्ती से अर्द्ध पराक्रमशाली और तीन खण्ड पृथ्वी का उपभोग करने वाले नौ वासुदेव काश्यपगोत्रीय और अवशेष आठ गौतमगोत्रीय होंगे। इनके सौतेले भाई भी नौ होंगे। उनका वर्ण श्वेत होगा। उन्हें बलदेव कहा जाएगा। (श्लोक ३३८-३३९) १ पोतनपुर नगर के प्रजापति राजा और मृगावती रानी के त्रिपृष्ठ नामक पुत्र प्रथम वासुदेव होंगे। उनका शरीर अस्सी धनुष परिमारण होगा। जब श्रेयांस जिनवर पृथ्वी पर विचरण करेंगे उस समय वे चौराप्री लाख वर्ष की परमायु पूर्ण कर सातवें नरक में जाएंगे। २ द्वारिका नगरी में ब्रह्म राजा और पद्मावती रानी के द्विपृष्ठ नामक पुत्र द्वितीय वासुदेव होंगे। उनका शरीर सत्तर धनुष परिमारण और आयुष्य बहत्तर लाख वर्ष का होगा। वे वासुपूज्य जिनेश्वर के प्रव्रजन के समय होंगे और अन्त में छठे नरक में जाएंगे। ३ द्वारिका में भद्र राजा और पृथ्वीदेवी के पुत्र स्वयंभू नामक तृतीय वासुदेव होंगे। उनका आयुष्य साठ लाख वर्ष का और शरीर साठ धनुष परिमारण होगा। वे विमलभद्र को वन्दन करने वाले अर्थात् विमलनाथ स्वामी के समय होंगे। प्रायुष्य पूर्ण कर वे छठे नरक में जाएंगे। ४ द्वारिका में ही सोम राजा और सीतादेवी के पुरुषोत्तम नामक पुत्र चतुर्थ वासुदेव होंगे। उनका शरीर पचास धनुष और उम्र तीस लाख वर्ष की होगी । वे अनन्तनाथ तीर्थंकर के समय होंगे और मृत्यु के पश्चात् छठे नरक में जाएंगे। ५ अश्वपुर नगर के शिवराज राजा और अमृतादेवी रानी के पुत्र पुरुषसिंह पाँचवें वासुदेव होंगे । उनका शरीर चालीस धनुष का और प्रायु दस लाख वर्ष की होगी। वे धर्मनाथ जिनेश्वर के समय होंगे और छठे नरक में जाएंगे। ६ चक्रपुरी नगर में महावीर राजा और लक्ष्मीवती रानी के पुरुष प ण्डरीक नामक पत्र छठे वासुदेव होंगे। उनका शरीर उन्तीस धनुष, आयु पैंसठ हजार वर्ष होगी। वे अरनाथ और मल्लिनाथ
SR No.090513
Book TitleTrishashti Shalaka Purush Charitra Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGanesh Lalwani, Rajkumari Bengani
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1989
Total Pages338
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, & Biography
File Size24 MB
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