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________________ [२२५ वहां अधिकारियों ने समस्त प्रात्मियों को देखने की इच्छा वाले महाराज भरत के साथ उन सबका परिचय कराया । जो नहीं आ सके उनके नाम भी बताए । फिर अपने भाइयों में जो उत्सव में भी नहीं आए उन्हें बुलाने के लिए भरत ने दूत भेजे । दूत जाकर बोला- 'यदि राज्य की इच्छा है तो महाराज भरत की सेवा करो ।' ( श्लोक ७९९-८०१ ) दूत की बात सुनकर उन्होंने विचार विवेचन कर उत्तर दिया 'पिताजी ने भरत को और हम सब को राज्य बांट दिया है । अब भरत की सेवा करने पर वे हमें और अधिक क्या देंगे ? मृत्यु आने पर क्या वे उसका निवारण कर सकेंगे ? वे क्या देह आक्रमणकारी जरा राक्षसी को दण्ड देने में सक्षम होंगे ? क्या वे दुःखदायी व्याधिरूप व्याध को निहत कर सकेंगे ? वे क्या उत्तरोत्तर वर्द्धित तृष्णा को नष्ट कर सकेंगे ? यदि सेवा का यह सब फल देने में भरत समर्थ हैं तब सामान्य मनुष्य रूप में कौन किसकी सेवा के योग्य है ? उनके पास अनेक राज्य हैं । उससे भी उनको सन्तोष नहीं है । ग्रत: अपने बल से हमारा राज्य लेना चाहते हैं तो हम भी तो उसी पिता के पुत्र हैं । फिर भी हे दूत, तुम्हारे प्रभु के साथ, जो हमारे चाहते ।' पिताजी की अग्रज हैं, अनुमति के बिना युद्ध भी करना नहीं ( श्लोक ८०२-८०७) - दूत को ऐसा कहकर ऋषभदेव के वे ९८ पुत्र अष्टापद पर्वत पर समवसरण में अवस्थित भगवान् ऋषभ के पास गए। वहां तीन प्रदक्षिणा देकर उन्हें प्रणाम कर दोनों हाथ मस्तक पर रखकर इस प्रकार स्तुति करने लगे : ( श्लोक ८०८-८०९) 'हे प्रभो ! जबकि देव भी आपकी स्तुति करने में असमर्थ हैं। तब और कौन आपकी स्तुति करने में समर्थ हो सकता है ? फिर भी बाल-सुलभ चपलतावश हम आपकी स्तुति करते हैं । जो सर्वदा आपको नमस्कार करते हैं वे तपस्त्रियों से भी बढ़कर हैं । जो ग्रापकी सेवा करते हैं वे योगियों से भी अधिक बड़े हैं । हे विश्व प्रकाशितकारी सूर्य ! प्रतिदिन नमस्कार करने वालों के मस्तक में श्रापके चरण-नखों के किररण- जाल अलङ्कार की भांति शोभा पाते हैं । वे ही धन्य हैं । हे जगत्पति ! श्राप साम या बल से किसी से भी कुछ ग्रहण नहीं करते, फिर भी आप त्रिलोक चक्रवर्ती हैं । स्वामी !
SR No.090513
Book TitleTrishashti Shalaka Purush Charitra Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGanesh Lalwani, Rajkumari Bengani
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1989
Total Pages338
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, & Biography
File Size24 MB
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