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________________ [१८७ उसी प्रकार पृथ्वीपति ने धनुष को नम्र कर प्रत्यंचा चढ़ाई। संग्राम रूपी नाटक के प्रारम्भ के सूत्राधार की भांति और मृत्यु ग्राह्वान मन्त्र की भांति धनुष टंकार किया । ललाटकृत तिलक लक्ष्मी अपहरणकारी तीर, तूणीर से बाहर निकाला और प्रत्यंचा पर लगाया । चक्र भ्रम उत्पन्नकारी उस धनुष के मध्य भाग में नाभि का भ्रम उत्पन्न करने वाले उस तीर को महाराज ने कान तक खींचा । कर्ण पर्यन्त खींचा तीर जैसे महाराज को पूछ रहा था - ' - 'बोलिए, अब मैं क्या करूँ ?' फिर महाराज ने उस तीर को वरदामपति की ओर निक्षेप किया । ग्रकाश को उज्ज्वल कर जाते हुए उस तीर को देखकर पर्वत वज्र के भ्रम से, सर्प गरुड़ के भ्रम से और समुद्र बड़वानल के भ्रम से भयभीत हो गया । बारह योजन पथ अतिक्रम कर वह तीर विद्युत की भांति जाकर वरदामपति की सभा में गिरा । शत्रु प्रेरित घातक की तरह उस तीर को गिरते देखकर वरदामपति क्षुब्ध हो गए और उच्छ्वसित समुद्र की तरह उद्भ्रान्त भृकुटि से तरगित होकर उत्कट शब्दों में बोल उठे : ( श्लोक १५६ - १७३) 'अरे, यह कौन है जिसने ठोकर मारकर सोते हुए सिंह को जगाया है ? मृत्यु ने किसका ग्राह्वान किया है ? कुष्ठ ग्रस्त की तरह आज किसके जीवन में वैराग्य जागा है जिसने साहस कर मेरी सभा में तीर निक्षेप किया है ? इसी तीर से मैं तीर निक्षेप करने वाले का प्राण हरण करूँगा । (श्लोक १७४-१७६) उसने क्रोधपूर्वक उस तीर को उठाया । मगधाधिपति की भांति वरदामपति ने भी उस तीर पर लिखी लिपि पढ़ी । उस लिपि को पढ़कर वह उसी प्रकार शान्त हो गया जैसे सर्प दमन औषधि से सर्प । वह बोला – मेढक जिस भांति काले सांप को चपेट में लेने को प्रस्तुत होता है, बकरी अपने सींगों से हाथी पर प्रहार करने की इच्छा करती है, हस्ती जैसे दन्ताघात से पर्वत उखाड़ने का प्रयास करता है उसी प्रकार मन्दगति मैं भी भरत चक्रवर्ती से युद्ध करने की इच्छा करता हूं ।' ( श्लोक १७६-१८० ) फिर यह सोचकर कि कुछ अनर्थ न हो जाए उसने सेवकों को उपहार लाने का आदेश दिया । अनेक उपहारों को लेकर वह भरत चक्रवर्ती के पास जाने को उसी भांति निकला जैसे इन्द्र ऋषभध्वज
SR No.090513
Book TitleTrishashti Shalaka Purush Charitra Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGanesh Lalwani, Rajkumari Bengani
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1989
Total Pages338
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, & Biography
File Size24 MB
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