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________________ १४६] निवास रूप उस पर्वत में खण्डप्रभा और तमिस्रा नामक दो गिरि कन्दराएं थीं। चलिका से जिस प्रकार मेरु सूरोभित होता है उसी प्रकार शाश्वत प्रतिमाओं सहित सिद्धायतन से वह पर्वत शोभित हो रहा था। उस पर्वत पर कण्ठाभरण तुल्य विविध रत्न-खचित और देवों की लीलास्थली से नौ शिखर थे। उसके बोस योजन ऊपर दक्षिण और उत्तर में वस्त्र-खण्ड की भाँति व्यन्त र देवों की दो निवास श्रेणियाँ थीं। पादमूल से शिखर पर्यन्त रौप्य की मनोहर शिलाएँ थीं जिन्हें देखकर लगता नमि और विनमि को वे हाथ के इशारे से बुला रही हैं । ऐसे पर्वत पर जाकर नमि और विनमि ने अवतरण किया। (श्लोक १७६-१८५) नमि राजा ने जमीन से दस योजन ऊपर दक्षिणार्द्ध में ५० नगरों को पत्तन किया । यथा-बाहुकेतु, पुण्डरीक, हरिकेतु, सेतुकेतु, सीरिकेतु, श्री बाह, श्री गह, लोहार्गल, अरिजय, स्वर्गलीला, वज्रगल, वज्रविमोक, महिसारपुर, जयपुर, सुकृतमुखी, चतुर्मुखी, रक्ता, विरक्ता, आखण्डलपुर, विलासयोनीपुर, अपराजित, काञ्चिदाम, सुविनय, नभःपुर, क्षेमंकर, सहचिह्नपुर, कुसुमपुरी, संजयती, शक्रपुर, जयन्ती, वैजयन्ती, विजया, क्षेमंकरी, चन्द्रभासपुर, रविभासपुर, सप्तभूतलावास,सुविचित्र, महाधपुर, चित्रकूट, त्रिकूटके, वैश्रवणकूट, शशिपुर, रविपुर, विमुखी वाहिनी, सुमुखी, नित्योद्योतिनी और श्री रथनुपूर चक्रवाल । (श्लोक १८६-१९४) किन्नर पुरुषों ने प्रथम वहाँ मंगलगान किया। फिर नमि ने रथनुपूर चक्रवाल नामक सर्वोत्तम नगर में निवास किया। वह नगर सब नगरों के मध्यवर्ती था। (श्लोक १९५) धरणेन्द्र की आज्ञा से विनमि ने भी वैताढ्य पर्वत के उत्तरार्द्ध ' में साठ नगर बसाए । उनके नाम अर्जुनी, वारुणी, वैर संहारिणी, कैलाशवारुणी, विद्युत्द्वीप, किलिकिल, चारु चूड़ामणि, चन्द्रभूषण, वंशवत, कुसुमचूल, हंसगर्भ, मेघक, शंकर, लक्ष्मीहर्म्य, चामर, विमल, असुमत्कृत, शिवमन्दिर, वसुमति, सर्वसिद्धस्तुत, सर्वशत्र जय, केतुमालांक, इन्द्रकान्त, महानन्दन, अशोक, वीतशोक, विशोकक, सुखालोक, अलक, तिलक, नय स्तिलक, मन्दिर, कुमुदकुन्द, गगनवल्लभ, युवती तिलक, अवनि तिलक, सगन्धर्व, मुक्ताहार, अनिमिष, विष्टप, अग्निज्वाला, गुरुज्वाला, श्रीनिकेतपुर, जयश्री निवास, स्न
SR No.090513
Book TitleTrishashti Shalaka Purush Charitra Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGanesh Lalwani, Rajkumari Bengani
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1989
Total Pages338
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, & Biography
File Size24 MB
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