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________________ ११८] के कौतुक को देखने के लिए समुपस्थित हई है। चँदोवे के चारों और के स्तम्भ पर जो मुक्त मालाएं अटकाई गई थीं वे अष्टदिक के हास्य-सी प्रतीत होती थीं। मण्डप के मध्य में देवांगनाओं ने रति के निधान रूप रत्न-कलशों की चार आकाशचुम्बी पंक्तियां स्थापित की थीं। उन्हीं चार पंक्तियों के कुम्भ को स्थिर रखने में सहायकारी वंश विश्व को सहायतादानकारी स्वामी के वंश को वृद्धि सूचित करते हुए शोभा दे रहे थे। (श्लोक ७६८-७८४) उसी समय, हे रम्भा, माल्य रचना करो', 'हे उर्वशी, दूर्वाधास लायो', 'हे घताची, वर को अर्घ देने के लिए घी, दही यादि लायो', 'हे मंजूघोषा, सखियों द्वारा धवल मंगल अच्छी तरह गवायो', 'हे सुगन्धे, तुम सुगन्धित द्रव्य तैयार करो', 'हे तिलोत्तमे, दरवाजे पर सुन्दर स्वस्तिक अंकित करो', 'हे मैना, तुम अभ्यागत व्यक्तियों को सुन्दर पालाप गाकर सम्मानित करो', 'हे सुकेशी, वर-वधू के लिए केशाभरण बनायो', 'हे सहजन्या, वरयात्री रूप में आगत पुरुषों के लिए स्थान निरूपण करो', 'हे चित्रलेखा, मातृभुवन में विचित्र चित्र अंकित करो', 'हे पूणिमा, तुम पूर्ण पात्र शीघ्र तैयार करो', 'हे पुण्डरिके, तुम पुण्डरीक से पूर्ण कुम्भ सजागो', 'हे अम्लोचे, तुम वर के लिए चौकी योग्य स्थान पर रखो', 'हे हंसपादी, तुम वर-वधू के लिए पादुकाएं रखो', 'हे पुजिकास्थला, तुम वेदिकाओं को गोमय से शीघ्र लेपन करो', 'हे रामा, तुम कहां जा रही हो ?' 'हे हेमा, तुम सोना की ओर क्यों टकटकी लगाए हो ?' 'हे ऋतुस्थला, तुम पागलों की तरह चुप क्यों बैठी हो ?' 'हे मारिचि, तुम, क्या सोच रही हो ?' 'हे सुमुखी, तुमने मुह क्यों फुला रखा है ?' 'हे गान्धर्वी, तुम आगे क्यों नहीं जा रही हो?' 'हे दिव्या, तुम क्यों इधर-उधर घूम रही हो ?' अब लग्न का समय हो गया है। सभी अपने-अपने विवाहोचित कार्य शीघ्र पूर्ण करो।' इस भांति अप्सराए एक-दूसरे का नाम ले-लेकर बोल रही थीं। इससे वहां कोलाहल-सा मच गया था। (श्लोक ७८५-७९५) कुछ अप्सरानों ने सुनन्दा और सुमंगला को मंगल स्नान करवाने के लिए चौकी पर बैठाया। मधुर धवल मंगल गीत गाते हुए प्रथम उन्होंने उनके समस्त शरीर में सुगन्धित तेल मर्दन किया। फिर जिनकी पद रज से पृथ्वी पवित्र हुई है इस प्रकार उन दोनों
SR No.090513
Book TitleTrishashti Shalaka Purush Charitra Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGanesh Lalwani, Rajkumari Bengani
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1989
Total Pages338
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, & Biography
File Size24 MB
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