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________________ [११३ भाग अस्थि रुधिर से प्रावृत्त होने से पुष्ट, गोल और हरिणों के पैरों की शोभा को भी तिरस्कृत करनेवाला था। उनके घुटने मांसल और गोल थे। जंघाएँ कोमल, क्रमशः उन्नत और गोल थीं। वे कदली स्तम्भ के विलास को धारण करती थीं। मुष्क हस्ती की भांति गूढ़ और समस्थिति युक्त था । कारण, अश्व की तरह कुलीन पुरुष का चिह्न गूढ़ होता है । उनका पुरुषांग ऐसा था जिसकी शिरा दिखाई नहीं पड़ती। वह न ऊँचा था न नीचा, न शिथिल न खूब छोटा न खूब मोटा। वह सरल था, कोमल था, लोमरहित और गोलाकार था। उनके कोशस्थित पंजर-शीत प्रदक्षिणावर्त शब्दमुक्त को धारण करने वाले प्रवीभत्स और आवर्ताकार थे । प्रभु के पृष्ठ का निम्न भाग विशाल, पुष्ट, स्थूल और अत्यन्त कठोर था और मध्यभाग सूक्ष्मता में वज्र के मध्य-भाग-सा था । नाभि नदी के आवर्त का विलास धारण करती थी। कुक्षि के दोनों भाग स्निग्ध, मांसल, कोमल, सरल और समान थे। वक्षदेश स्वर्णशिला की तरह विशाल, उन्नत, श्रीवत्स चिह्न अंकित, मानो लक्ष्मी की छोटी क्रीड़ा-वेदिका हो । उनके दोनों स्कन्ध वृषभ के कन्धों की भांति दृढ़, पुष्ट और उन्नत थे। दोनों बगल अल्प रोमयुक्त, उन्नत गन्ध, स्वेद और मल रहित थे। उनके पुष्ट और हस्तरूपी फरणों के छत्रों से युक्त बाहु घुटनों तक विलम्बित थे। वे ऐसे लगते मानो वे चंचला लक्ष्मी को वशीभूत करने के नाग-पाश हैं। और दोनों हाथ के करतल थे नवीन पाम्र पल्लव की भांति लाल, कुछ काम नहीं करने पर भी कठोर, स्वेदरहित, छिद्ररहित और ईषत् ऊष्ण । पैरों की तरह उनके हाथों में भी दण्ड, चक्र, धनुष, मत्स, श्रीवत्स, वज्र, अंकुश, ध्वज, कमल, चामर, छत्र, शंख, कुम्भ, समुद्र, मन्दिर, मकर, ऋषभ, सिंह, अश्व, रथ, स्वस्तिक, दिग्गज, प्रासाद तोरण, दीप ग्रादि चिह्न अंकित थे। उनके अंगुष्ठ और अंगुलियां लोहित हस्त से निकलने के कारण लोहित और सरल थे। वे प्रान्त भाग में मारिणक्य फूल के कल्पवृक्ष के अंकुर की भांति प्रतीत होते थे। अंगूठे के पर्व भाग में यशरूपी उत्तम अश्व को पुष्ट करने के लिए यवचिह्न स्पष्टतः गोचर होते थे। अंगुलियों के ऊपरी भागों में दक्षिणावर्त चिह्न थे। उन्होंने सर्व सम्पत्तिद्योतक दक्षिणावर्त के शंख का रूप धारण कर रखा था। उनके कर-कमलों के मूल भाग में तीन
SR No.090513
Book TitleTrishashti Shalaka Purush Charitra Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGanesh Lalwani, Rajkumari Bengani
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1989
Total Pages338
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, & Biography
File Size24 MB
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