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________________ ६९४ घिलोकसार पापा: E0 से 5 तत्रोदकोदवासामरी दकदकवासादियुगलमुत्तरदये। लोहितलोहिवाको लत्र बाणा विविषवर्णनकाः ॥ ६0 H धवलाः सहसमुद्गताः सर्वनगा: अघटसमाकाराः । उभयतटाल गत्वा वाचत्वारिंशत्सहस्रमासते ॥ ६०८ ।। गः | बात:ला सानां पर एककाः पर्वताः सन्ति । तत्र पूर्वदिकस्य. पातालस्य पूर्वरिशि कौस्तुभशैलः इह द्विीपस्तु कौस्तुभासाल्यः ॥ ९०५ ।। सहि । तयोरुपरि तमामानी सो व्यन्तरी स्तः, दक्षिण विक्रयपातालस्य पाश्वंद्वये उदकोवकपासास्यो नगी , अनयोपरि शिवशिवदेवात्यो सुगै स्तः । पश्चिमपातालल्य पावतये शशमहाशङ्खाल्यो गिरी स्a ut.६॥ तस्यु । तयोः पतयोपरि उनकोवयासाख्याबमरौ हतः । उत्तरपातालपारद्वये वकवकवासाख्याद्रियुगलमस्ति तयोपरि लोहितलोहिताको प्रमौ तः। ते सर्वे व्यस्तराः षिवनायुताः ॥ ६ ॥ धवला । ते सर्वे पर्षता घालवणाः जलायुपरि सहस्रपोजमोत्तुङ्गाः प्रघटसमाकाराः उभयतटावाचवारिसपोजनानि ४२००० गत्वा मासते ॥६०८॥ विगत पातालों के पार्श्वभागों में स्थित पर्वतों को और उन पर निवास करने वाले देवादिकों के बारे में चार गाथाओं द्वारा कहते हैं : गाथार्ष:-वडवामुख आदि पातालों के दोनों पाव भागों में एक एक पर्वत हैं। पूर्वदिशा सम्बन्धी पाताल को पूर्व दिशा में कोस्तुभ पर्वत और उसी की पश्चिम दिशा में कोस्तुभास पर्वत हैं इन दोनों पर्वतों के ऊपर पर्वत समान नाम वाले देव रहते हैं । दक्षिणदिग्मत पाताल के दोनों पाव भागों में उदक और उदकवास पर्वत हैं, जिन पर शिव और शिवदेव नाम के देव रहते हैं। पश्चिम दिग्गत पालाल के दोनों पार भागों में शङ्ख और महाशङ्ख नाम के पर्वत हैं, जिनके ऊपर उदक और उदकवास नाम के देव रहते हैं, तथा उत्तर दिग्गत पाताल के दोनो पाश्वभागों में दक और दकवास नाम के युगल पर्वत हैं, जिनके ऊपर लोहित और लोहिताङ्क नाम के व्यतर देव रहते हैं। वे व्यस्तर देव नाना प्रकार की विभूति से सहित है, तथा वे सम्पूर्ण ( बाठों ) पर्वत धवल वणं वाले, जल से हजार योजन ऊँचे, अर्घघटाकार वाले तथा दोनों सटों से ४२००० योजन दूर जाकर स्थित हैं ॥ १०५ से १८ ॥ विशेषार्थ:-- इवामुख आदि पातालों के दोनों पार्वभागों में एक एक पर्वत है। वहाँ पूर्वदिशा सम्बन्धी वढवामुख पाताल की पूर्व दिशा में कौस्तुभ पवंत और पश्चिम दिशा में कौस्तुभास नाम का पर्वत है। इन दोनों पर्वतों पर कौस्तुभ और कौस्तुभास नामधारो ही व्यन्वर देव रहते हैं। दक्षिणविक सम्बन्धी कार पाताल की पूर्वदिशा में उदक और पविचम में उदकवास पर्वत हैं जिनके ऊपर शिव और शिवदेव नाम के देव निवास करते हैं।
SR No.090512
Book TitleTriloksar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, Ratanchand Jain, Chetanprakash Patni
PublisherLadmal Jain
Publication Year
Total Pages829
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size19 MB
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