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________________ नरतियं ग्लोकाधिका अब छह गाथाओं द्वारा कल्कि राजा के कार्य कहते हैं : -- गाथा ८५७ से ८६१ गाथा : वह कल्कि उन्मार्गाभिमुख होता है। उसका नाम चतुर्मुख और परमायु सप्तर वर्ष की होती है। उसके राज्यकाल की अवधि चालीस वर्ष प्रमाण है। भूमि को जीतला हुआ वह अपने मन्त्रीगणों से पूछता है कि कौन हमारे वश में नहीं है ? मंत्रीगण बोले- निर्ग्रन्थ साधु नहीं हैं। उसने पूछा--उनका आकार कैसा है | मन्त्री बोले- वे षन वस्त्र रहित होते हैं और शास्त्रानुसार भिक्षावृत्ति से भोजन लेते हैं । मन्त्री के ऐसे वचन सुनकर कल्कि ने मन्त्रियों सहित नियम बनाया कि उन निन्यों के पाणिपुट में रखा गया प्रथम ग्राम शुल्क रूप में ग्राह्य है नियमानुसार प्रथम ग्रास टेक्स रूप में मांगे जाने पर मुनि आहार छोड़ कर वन को चले गए। इस अपराध को सहन करने में असमर्थ असुरपति ( चमरेन्द्र ) ने वष्त्रायुध द्वारा उस कल्कि को मार डाला। वह कल्कि रत्नप्रभा पृथिवी में दुःख स्वरूप एक सागर प्रमाण आयु को भोग रहा है। उस असुरपति के भय से उस कल्कि का अजितञ्जय नामक पुत्र अपनो बेलका नाम को स्त्री के साथ उस पिता के शत्रु असुरपति की शर को प्राप्त हुआ तथा असुरेन्द्र के द्वारा किए हुए जैन धर्म के माहात्म्य का प्रत्यक्ष फल देख कर उसने शीघ्र हो सम्यग्दर्शन रूपी रश्न को अपने हृदय का श्राभरण बनाया ॥ ८४.१ से ८५६ तक || 1 विशेष :- सुगम है अथ चरमकल्कीस्वरूपं गाथाप नाह १६३ हदि पचिसहस्व वीसे कक्कीणदिक्कमे चरिमो । जलमंथ भविस्सदि कक्की सम्ममामत्थणओ || ८५७ ।। इंदरायसिस वीरंगद साहु चरिम सव्वसिरी । मञ्जा अग्मिल सावय वरसाविय पंगुसेणावि ॥ ८५८ ॥ पंचमचरिमे पक्खढमासतिवा सोसेसर तेण 1 मुणिपढमडिगणे मण्णणं करिय दिवसतियं ।। ८५९ ।। सोहम्मे जायंते कचियमत्रास मादि पुष्व । जलदी मुणिणो सेमतिए साहियं पल्लं । ८६० ।। तच्चासरस्स आदीमज्झ ते धम्मराय अम्गीणं । णासो तचो मणुसा नग्मा मच्चादिआहारा ॥। ८६१ ।। इति प्रतिसहस्रवर्ष विशली कल्कीनामतिक्रमे चरमः । जलमन्थनो भविष्यति कल्की सम्मागं मन्थनः ।। ८५७ ।। इह इन्द्रराजशिष्यों वोराङ्गदः साधुचरमः सर्वश्रीः । आर्या अगिलः धावकः वरश्राविका पंगुसेनाऽपि ॥ ६५८ ॥
SR No.090512
Book TitleTriloksar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, Ratanchand Jain, Chetanprakash Patni
PublisherLadmal Jain
Publication Year
Total Pages829
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size19 MB
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