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________________ ६५. त्रिलोकसार पाथा: E१४-८३५ पखमो यो गतः नारायणः चतुर्थी' मिपाप, कृष्णस्मृतीयो भुवं मापत् । एते गुरुपापाः ॥ ३२॥ गिरय। एतेषां प्रतिस्पिषश्च तत्तन्नरक गता | पष्टौ बलदेवाः मोक्षं पता:, घरमस्तु 'पद्यो ब्रह्मकल्पं गतः सोऽपि कृष्णे तीर्थकरे सति तस्मिन् काले स्यति सिदि प्राप्स्पति ।। ३३ ।। अव वासुदेवादि तीनों जिस गति को प्राप्त हुए हैं, उसे दो गाथाओं द्वारा कहते हैं : पाथा:- महद पाप के भार से प्रथम नारायण सप्तम नरक, अन्य पांच नारायण छठवें नरक, पुरुदत्त पाच नरक, नारायण ( लक्ष्मण ) चौथे नरक और कृष्ण तीसरे नरक गए हैं। इनके प्रतिशत्रु प्रतिनारायण भी उसी उसी नरक में गए हैं जिनमें नारायण गए हैं। आदि के पाठ बलदेव मोक्ष गए हैं और अन्तिम बलदेव ब्रह्म स्वर्ग को प्राप्त हुए हैं वो भी कृष्ण नारायण का जीव जब तीर्थकर होगा तब वे मोक्ष प्राप्त करेंगे॥८३२, ८३३ ।। विशेषार्थ:--पहिला नारायण त्रिपृष्ट और पहिला प्रतिनारामण अश्वग्रीव ये दोनों सप्तम नरक गए हैं। अन्य द्विपृष्ट, स्वपम्भू, पुरुषोत्तम, पुरुषसिह और पुरुष पुण्डरीक ये पांच नारायण तथा तारक, मेरक, निशुम्भ, मधुकैटभ ओर वळि में पांच प्रतिनारायण छठे नरक गए हैं। पुरुषदत्त, नारायण और प्रहरण प्रतिनारायण ये पांचवें नरक लक्ष्मण नारायण और रावण प्रतिनारायण ये चौथे नरक तथा कृष्ण नारायण और जरासन्धु प्रति नारायण ये तीसरे नरक को प्रात हुए हैं । आदि के आठ बलभद्र मोझ गए हैं तथा पद्म नाम का नौवां चल भद्र ब्रह्मस्वर्ग को प्राप्त हुआ है किन्तु जब कृष्ण का जीव तीथंङ्कर होगा उस समय वे भी सिद्धगति प्राप्त करेंगे। अथ नारदाना नामादिकं गाथाद्वयेनाह भीम महमीम रुद्दा महरुद्दो कालभो महाकालो । वो दुम्मुह णिस्यमुहा महोमुबो गारदा एदे ।। ८३४ ।। कलहप्पिया कदाई धम्मरदा वासुदेवसमकाला | मच्या णिरयगदि ते हिंसादोसेण गच्छति ।। ८३५ ।। भोमो महाभोमः रुद्रो महारुद्रो कालो महाकालः । ततो दुर्मुथो निरयमुखः अधोमुखो नारदा एते ।। ६३४॥ कलहप्रियाः कदाचित मरताः वासुदेवसमकाल!! 1 भव्याः नरकगति ते हिसादोषेण गच्छन्ति ।। ८६५ ।। भीमा : भीमो महाभीमो द्रो महानः कालो महाकालस्ततो दुर्मुसो नरकमुखोऽधोमुख इस्येते परमारथाः॥८३४
SR No.090512
Book TitleTriloksar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, Ratanchand Jain, Chetanprakash Patni
PublisherLadmal Jain
Publication Year
Total Pages829
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size19 MB
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