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त्रिलोकसार
गाथा . २१
सप्त ७ घनूषि भवन्ति । इतः परं तेषामायुयंचासंख्यं चतुरशीतिपूर्वलक्षवर्षाणि ५४ पू.ल. द्वासप्तति पूर्वलक्षवणि ७२ पलक्षवर्षाणि ५ ल. विलक्षवर्षाणि ३ ल. एकलशवर्षाणि १ ल० ॥६॥
संध । पञ्चनजतिसहलवा ५५०.. चतुतिसहस्त्रवर्षाणि ८४.०० हिमहलबाणि ६०... शिरसहनवर्षाणि ३०... शसहस्रपरिण १०००० त्रिसहस्रवर्षाणि ३००० ब्रह्मवत्तस्य प्रपतवर्षाणि ७०० ॥ २०॥
अब चक्रवतियों के शरीर का वर्ण, उस्मेष और उनकी आयु तीन हाथाओं द्वारा कहते हैं :
गामा:-सर्व चक्रवर्ती स्वर्ण सदृश वर्ण वाले थे। धनके शरीर की ऊंचाई क्रम में पांच सौ. पवास कम ( ४५०), अर्घ सहित ४२ ( ४२३ ), अर्ध सहित इकतालीम ( ४१३), चालीम, पतीस, तीस, अट्ठाईस, बावीस, बोस, पन्द्रह और सात घनुष प्रमाण है तथा उनकी आयु क्रम से चौरासी लास पूर्व, बहत्तर साख पूर्व, पांच लाख वर्ष, तीन लाख वर्ष, एक लाख वर्ष, पञ्चानवे हजार वर्ष, चौरासी हजार वर्ष, साठ हजार वर्ष, तीस हजार वर्ष, दश हजार वर्ष, तीन हजार वर्ष और सात सौ वर्ष प्रमाण है 11 ८1८-८२०॥
विशेषार्थ :- मरतादि सभी चक्रवर्ती ग सदृश वर्ण वाले थे। भरल चक्रवर्ती के शरीर का उत्सेध १०० धनुष और प्रायु ८४..... पूर्व की थी। मगर चक्रवर्ती का उन्मेध ४५० धनुष और आयु ७२००.०० पूर्व, मघवान् का उन्मेध ४२३ धनुष और आयु १००.०० वर्ष, सनत्कुमार का उत्सेध ४१३ घनुष और आयु ३००००० वर्ष, शान्तिनाथ का उसेघ ४. धनुष और आयु १०००.. वर्ष, कुन्थुनाथ चकवर्ती का उत्सेध ३५ धनुष और आयु : ५.०० वर्ष, मरनाथ चक्रवर्ती का उरसेघ ३. धनुष
और आयु ४००० वर्ष, सुभीम का उत्से घ २८ धनुष और आयु ६००० वर्ष, महापद्म का उत्सेध २२ धनुष और आय ३०००० वर्ष, हरिषेण का उत्सेध २० धनुष और आयु १०००० वर्ष, जय चक्रवर्ती का उत्सैघ १५ धनुष और वायु ३००० वर्ष तथा अन्तिम ब्रह्मदत्त चक्रवती का उसेघ ७ घनुष और आयु ७०. वर्ष प्रमाण ची। अथ तेषा नवनिधिसंज्ञामाह
कालमहकालमाणवपिंगलणेमप्पपउमपाइ तदो। संखो णाणारयणं गणिरियो दति फलमेदं ।। ८२१ ।। ' काममहाकालमाणवक पिङ्गल सर्पपद्मपापस्ततः।
शङ्खः नानारत्न नवनिधयः ददति फल मेतत् ॥ २१ ॥ काल । सालमहाकालो मारपवक पिङ्गलो नैसर्पः पनः पाण्स्ततः शङ्खो मानारानालय इति नवनिषयः एसब वक्ष्यमारणं फलं वदति ॥ २१ ॥