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________________ ६६० पर १००००००००ooooo **200*#*#**#0 अपवर्तन करने पर रे पल्य प्राप्त हुए । इन पर पलय में से त्रिलोकसार १ooooooo०००००० 50000000000000 करने पर ९९९९९९९९९९९९९ [500000000000 पल्या होत हैं। इनमें शके १६ शून्यों का हर के ७२ लाख ६० : कम और पल्य अवशेष रहता है। इसे ही करण सूत्र द्वारा सिद्ध करते हैं कर प्रत्येक को दश दश करने पर x * - से गुणित करते हुए अन्तधन दे पल्य प्राप्त होता है। इसमें से आदि धन RAILERIEStEE GR00000000000 १०००novoooooo ७२०००००००००ongs ऋण घटा देने पर कुछ से प्रारम्भ ६ लॉ० क० " प्राप्त हो जाता है। गुणकार १० से गुणा घटाने के लिए समच्छेद प० १ ला० क० घटाने पर १० १ मला० क० परय प्राप्त होते हैं। इनमें से आदि धन पत्य अवशेष रहे। इसमें एक कम गुणकार (१० - १ प० १ ७१.००००००००००० ऋण को पल्य में से कम कर देने पर कु कमरे पल्य अवशेष रहते हैं । प्राप्त हुए। इसमें पूर्वोक्त ऋण पश्य होते हैं और इनका अपवर्तन करने पर उरे पल्य हुए तथा भाषा : ७१८ १३ शून्य से =१ का भाग देने पर ड) हुए। अर्थात् कुछ कम पल्य का आठवाँ ( कुछ कम है पल्य ) भाग प्राप्त होता है । अथ मनुभिः क्रियमाण शिक्षा तेषामङ्गवर्ण चाह मिलाने पर - हा हामा हामाधिक्कारा पणपंच पण सियामलया | चक्खुम्मदुग पसेणाचंदाहो भवलसेस कणपणिहा ।। ७९८ ।। हाहामा हामाधिक्काराः पच पच पच श्यामलों । चक्षुष्मद्विकं प्रसेनचन्द्रामी धवली शेषाः कनकनिभाः ॥ ७३८६८|| इन कपल्यों में सर्व फुलकरों की आयु का प्रमाण कुछ कम हे पल्य जोड़ देने से (उई+ पल्य से कुछ कम प्राप्त होते हैं। इन्हें से अपवर्तित करने पर कुछ कम ( ) है पल्य प० १ पर ला०क० हा हा । प्रथमपचमभवः अपराधिनो हाकारेण वच्चयन्ति ततः परं पञ्च मनवः हामाकारेण ण्डयन्ति लघुपरिमपञ्चमनवः हामाधिक्कारेण दण्डयन्ति । चक्षुष्मान् यशस्वीति द्वौ श्यामलौ प्रसेनचन्द्राभो घवली, शेषाः सर्वे कनकनिभाः ॥ ७३८ ॥ अगे कुलकरों के द्वारा किया हुआ दण्ड विधान ( शिक्षा ) एवं उनके शरीर का वर्ण कहते हैं : गावार्थ :- आदि के पांच कुलकर अपराधी पुरुषों को 'हा'; आगे के अन्य पाँच कुलकर 'हा- मा' तथा अवशेष अन्तिम पाँच कुलकर 'हा-पाधिक' इस प्रकार दण्ड देते थे। चक्षुष्मान् औष
SR No.090512
Book TitleTriloksar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, Ratanchand Jain, Chetanprakash Patni
PublisherLadmal Jain
Publication Year
Total Pages829
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size19 MB
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