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________________ गाथा: ७६७ नरतियंग्लोकाधिकार Eo८०. 05. पल्ला । पल्पस्याशीतितमभागे मादिममन्तर ५१ शेषान्तरं तु सदेव पशभक्त' भवतिEoI सकी .की.कालने पर एतेषां समकछेदेन मेलनं कृत्वा ५ १११११११११११११ मन लधकरणा ६.०००००००००००० ५. ममि: समग्छवं कृत्वा EEEEEEEEEEEEER.प.१०००००००............. ७२००००००००००...आप ७२००००००००००००० प. प्राक्त मऋणे अपनोते की पस्यस्य किञ्चिन्यूमवासप्तस्यंशः स्यात् ५। एतदेव करणसूत्रणानयति । अंतघणं पर गुण १० गुणिय प १० मावि प. समच्छेदेन अपवर ७२ल.को प... पERELEEEEEEEEऊणुत्तरभजिय प१००.००.००००० ܘ ܩܣܘܙܘܗܗܘܘܘܘܕܟ ल.को ८००००००००००००० - - - H INEEL a तावणं १६............ संयोज्य ७२००००००...... ७२००००००००००००० अपवर्य ५१ प्राक् प्रक्षिप्तपणे म्यूनं कृते किश्चिन्यूनपल्यासप्तत्यंशः स्यात् । सर्वेषामायुयाणा ५१ मन्तराणां च ११ पटभिः समच्छेनं कृत्वा पद संयोज्य प मभिरपवतित किञ्चिन्यूनपल्याहमांशः स्यात ११ ॥ १७ ॥ अब उन कुलकरों का अन्तर काल कहते हैं। गाथार्थ:-कुलकरों के अन्तरालों में से प्रथम अन्तर, पल्य का ८०वी भाग पा। शेष अन्तय उत्तरोत्तर दश दश भाग प्रमाण था। इन सम्पूर्ण अन्तरालों का जोड़ पल्प और सम्पूर्ण अन्तराल एवं आयु का जोड़ कुछ कम पत्य प्रमाण होता है ।। ७६७ ।। विशेषा-प्रथम अन्तर पल्प और शेष अन्तर दश दश का भाग देने पर प्राप्त होते है। जैसे :-०० पल्य, ८०... ५.०। ६०००००६००:01 ८०००००००, ५००००००००० ५००००००००। ८०००००००००० ८००००००००००००००....... और ............. पन्य है, इनका समच्छेद करके जोड़ने पर १११११११११११११ पल्य प्राप्त होते हैं । इसको संक्षिप्त ८००००००००००००० '- को मे मास्ट करने के लिए ..ऋणराशि मिलाना है, अत: ७२ लाक ८००००००००००००० .. AREERELIER करने पर ०००००००००० ..पल्य प्राप्त हुए। इनमें ऋणराशि २०........... मिलाने
SR No.090512
Book TitleTriloksar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, Ratanchand Jain, Chetanprakash Patni
PublisherLadmal Jain
Publication Year
Total Pages829
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size19 MB
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