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पापा : ७६७
शेष १३ कुलकरों की आयु का जोड़ 80% पल्य होता है। यदि इसमें पल्य का इ००००००००००००० भाग मिला दिया जाय तो - (40010339392323 ९९९९९९९९ = 1 ) है 888999999999 पल्य- पत्य होता है; क्योंकि अंश और हर के
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१३ शून्यों का अपवर्तन हो गया है। यदि इसमें से उपयुक्त ऋण ६० लाख करोड़ ) को कम कर दिया जाय तो कुछ कम २ पल्म होता है ।
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से प्रारम्भ कर
इसको करण सूत्र से इस प्रकार सिद्ध किया जा सकता है:--: १ १० लाख करोड़ उत्तरोत्तर १० गुणा किया जाय तो अन्तिम धन के पत्थ प्राप्त होता है इसको १० से गुणित करने पर अर्थात् १ पल्य होता है। इसमें से आदि घन १० ला०क०
अर्थात्
पल्य
को घटा देने पर
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पत्य अवशेष रहते हैं। इसमें एक कम गुणकाय अर्थात्
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प्राप्त
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( १० १) = का भाग देने पर ( होता है। इसमें पूर्वोक्त ऋण १००० होता है। इस पल्प में से
मिला देने पर 29988888888888 - है पल्य १० लाख करो० ऋण ( कम ) कर देने पर कुछ कम १ पल्य प्राप्त होता है। इसी करण सूत्र को दृष्टान्त (असंदृष्टि ) द्वारा दिखाते हूँ :- मानलो राशी है। इसमें से ऋण घटाने पर (६ - १० = ० अवशेष रहते है । ४० को ४ से भाग देने पर १० प्राप्त हुए
राशि
ओर के हर ४ में १ अधिक ( जोड़ने ) करने से ६ प्राप्त होते हैं। इस ६ से ६० को भाग देने पथ १० ष आता है। अधिक का प्रमारण कैसे जाना जाता है ? ॠण २० को लब्ध १० से भाग देने पर हर के अधिक का प्रमाण २ प्राप्त हो जाता है। विशेष यह है कि ऋण के अज्ञात होने पर अधिक के प्रमाण २ से लब्ध १० को गुणित करने पर ऋण का प्रमाण ( १०२ ) २० प्राप्त हो जाता है ।
पलासीदिममंतरमादिमभवसेसमेत्य दसमजिदा |
जोगे बावचरिमं सयलजुदे अट्टमं दीणं ॥ ७९७ ॥ पल्याशीति ममन्तरमादिममवशेषमत्र दशभक्त ।
योगे द्वासपतिः सकलते अमो हीनः ॥ ७९७ ।।
नोट :- इस टान्त का पूर्वोक्तकरण सूत्र से कोई सम्बम्ब दिखाई नहीं देता। विद्वज्जन इस पर विचार करें।
अथ तेषां मनूनामन्तरकालमाह