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________________ पाथा ७६ नरतियरलोकाधिकार माऊ। प्रथमकुलकरे भायुः पम्पबशमांशः पर. शेषेषु वभिभक्तामः प, प, m. , ... म । एल की । इसको । यो । १.५१ को १४.। पाप चरमे तु पूर्वकोटिः। एतेषा पूर्वकोटिव्यतिरिक्तानां समानछेदेन मेलने ५ १११११११११११११ पुनरपवतमाधमत्रतावरणं पल्प ............समच्छेदेन - . EEEEEEEEEEEEE प्रक्षिप्य ५ १००००००००००००० अपवर्य प. प्राक् प्रक्षिप्तऋणे ५६.000000000000 ००००००००००००० अपवस्य प प्रा प्रक्षिप्तऋणे निष्कासिते प .............. तरिकञ्चिन्यूनपल्पनवमांशः स्याद । एतदेव करणपण सापयति प्रतिषणं प गुस १. गुरिणम प पाधि प .. समन्छेवेग 4 ८०.००.00.. १०००००००० .....०.००००० REEEEEEEERE रऊणतर भजियंEBERREERRREER २००००००००००० मतावहणं प.............. प्रक्षेप्य ५ 222880 अपवयं प . पत्र प्राक् प्रक्षिप्त करणं म्यूनं कसंयंपामस्य प्रकारमडूसही दर्शयति-पस्मिनाशा वेतावरण ३१ मपनीय भक्त मल्लन्यमुपलभ्यते १० तस्मिन्नेव राशौ । हार ४ मषिकं कृत्वा " भक्त ऽपि तावरेज सम्बं स्यात् १० । प्रषिकप्रमाणं भयं जायत इतिवेद, ऋणे २० लन्धेन १० भक्त सति २ हाराधिकप्रमाणामागच्छति; कि छ, ऋणे प्रज्ञाते प्रधिकोकेन २ लग्थे गुणिते ऋणप्रमाण २० मागच्छति ॥ ७९ ॥ अब उनको ( कुलकरों की ) आयु कहते हैं : गाथा:-प्रथम कुलकर की आयु पक्ष्म के दसवें भाग प्रमाण थी तथा शेष कुछकरों की दश से भाजित अर्थात् पूर्व पूर्व कुलकरों की आयु को दश से भाजित करने पर अपर अपर कुलकरों की आयु का प्रमाण प्राप्त होता है । अन्तिम कुलकर की आयु पूर्वकोटि प्रमाण थी। ( इसके बिना) सम्पूर्ण आयु का योग करने पर कुछ कम पल्प का नबर्मा भाग प्राप्त होता है । ७६६ || विशेषाः।-प्रथम कुलकर की आयु पल्य के दशवे भाग अर्थात् पल्प प्रमाण थी तथा शेष १२ कुलकरों की आयु कमा: उत्तरोत्तर दश से भाजित मर्यादा पल्प, प- पल्प, T... पल्य, पल्य, 23 प०, १००००००० ५०, १०००००००. प., १००००००००० प०, १००००००.०.. प०, १००००००००००० ५०, १०००००००००००० ५०, १००००००००००००० पल्य तथा अन्तिम चौदहवें कुलकर की बायु एक पूर्व कोटि वर्ष की थी । इस पूर्व कोटि के अतिरिक्त ।
SR No.090512
Book TitleTriloksar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, Ratanchand Jain, Chetanprakash Patni
PublisherLadmal Jain
Publication Year
Total Pages829
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size19 MB
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