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त्रिलोकसार
गापा:४८३-. पूर्वकोटि प्रमाण है। चतुर्थ काल के आदि में पूर्वकोटि और अन्त में १२० वर्ष प्रमाण है । पञ्चम काल की
आदि में १२० वर्ष और अन्त में २० वर्ष प्रमाण है, तथा छठे काल की आदि में २० वर्ष और अन्त में १५ वर्ष प्रमाण है। . | "-!!... . तथा मनुष्योत्सेधमाइ--
तिदुगेकोसमुद्रथं पणसयचावं तु सच रदणी य । दुगमेकके चय रदणी छक्कालादिम्हि अंतम्हि ।। ७८३ ।। त्रिविकोशमुदयः पञ्चशतचापं तु सप्तरत्नयः च ।
द्विकमेकं च रनिः षटकालादो अन्ते ॥ ३ ॥ तिम् । प्रयमकालस्यादौ त्रिकोशमुदयः तस्यान्ते शिमुदयः स एव वितीयकालस्यावी सस्याले एककोशमुसः स एव तृतीमकालस्यानो सस्यान्ते पञ्चशत ५०.० चापोरसेषः स एव चतुर्षकालस्थाको लस्यान्ते सासरयुस्सेषः स एव पन्चमकालस्याको तस्यान्ते विरल्युदयः स एष वकालत्याची तस्यान्ते एकरल्युसेधः । एवं षटकालानामावो मन्ते च मत्र्यानामुत्सेधो मासष्यः ॥ ३ ॥
वैसे ही मनुष्यों की ऊंचाई का प्रमाण कहते है :
गाथा:-उन्हीं छह कालों के कादि और अनल में मनुष्यों के शरीर को ऊँचाई कम से तीन कोश और दो कोश, दो कोश और एक कोश, एक कोश और ५०० धनुष, ५०० धनुष और ७ हाथ, ७ हाथ और दो हाथ तथा दो हाथ और एक हाथ प्रमाण है ।। ७८३ ॥
विशेषार्ष:-प्रथम काल के मादि में मनुष्यों के शरीर की ऊंचाई तीन कोश और अन्त में दो कोश प्रमाण है। दूसरे काल के आदि में दो कोश और अन्त में एक कोश प्रमाण है। तीसरे काल के सादि में एक कोश और अन्त में ५०० धनुष प्रमाण है। चौथे काल के आदि में ५.० धनुष और अन्त में हाय प्रमाण है। पञ्चम काल के आदि में ७ हाथ और अन्त में दो हाथ प्रमाण है तथा छठे काल के आदि में दो हाथ और अन्त में एक हाथ प्रमाण है। अथ षटकालवतिनां मत्यांना वर्णकम निरूपयति--
उदयरवी पुर्णिण प्रियंगुसामा य पंचवण्णा य । लुक्खसरीरावणणे धूमसियामा य छक्काले ।। ७८४ ।। उदयरवयः पूर्णेन्दवः प्रियंगुश्यामाश्च पश्चवर्णाश्च ।
रूक्षशरीरावण: धूम श्यामा: च षट्काले ।। ७८४ ।। जाय। प्रथमकाले नराः उबपरविषय वितोयकाले पूर्णेन्दुवाः , तृतीयकाले fist