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________________ पाय।। ७८१-७२ मपतियालोकाधिका अप प्रथमादिकालानां स्थितिप्रमाणमाह चदुतिदुगकोडकोही वादालसहस्सवासहीणेक्कं । उदधीणं हीणदलं तत्तियमेतद्विदी ताणं ।। ७८१ ।। चतुस्त्रिद्विककोटीकोटि वाचत्वारिंशत्सहन्नवर्षहीनकम् । उदधीनां हीनदलं जावमात्रा स्थितिः तेषां ॥१॥ च । तेषा षट्कालान कमेण स्थितिः चतुः कोटीकोटिलागरोपमात्रिकोटोकोटितापरोपमा दिकोटोकोटिसापरोपमा ठाणस्वारिंशरस हम्नवर्षहीनककोटोकोटिसागरोपमा। होनस्य ४२० बलं उभयत्र प्रस्पेस २१००० तावन्मात्रा प माता ॥ ७८१ ॥ प्रथमादि कालों का स्थितिप्रमाण कहते हैं___ गाथार्य :-उन सुखमा सुखमा आदि कालों की स्थिति कमशः चार कोडाकोडी सागर, तीन कोजाकोडी मार दो कोटाकोटी नगर, नयालिस हजार वर्ष हीन एक कोडाकोडी सागर, धयालिस हजार वर्ष का अध अर्थात् इक्कीस हजार वर्ष और इक्कीस हजार वर्ष प्रमाण है ।। ७१॥ अन षटकालजीवानामायुः प्रमाणं निरूपयति तत्थादि अंत आऊ विदुगेक्कं पन्लपुषकोडी य । वीसहियमयं वीसं पण्णरसा होति वासाणं ।। ७८२ ।। तत्रादौ भन्ते आयु: त्रिद्विकैकं पल्यं पूर्वकोटिः । विशाधिकशत विशं पञ्चदश भवन्ति वर्षाणां ॥ ७६२ ।। तस्यादि । तेषु कालेषु प्रथमकालस्यायो नोवानामाबुस्विपल्पोपमं तस्यान्ते विपश्यं एतदेव द्वितीयकालत्यादौ तस्यान्ते एकपल्यं एतदेव तृतीपकालस्यादो तस्यान्ते पूर्वकोतिः एतदेव चतुर्घकालस्थायी सस्यान्ते विशत्यधिक शतं एतदेव परुचमकालस्मायो तस्यान्ते विशतिः एतदेव पढकालस्यादौ तस्याम्ते पञ्चवश एar: Raf: संख्या पर्वाणा भवन्ति ॥ ७२ ॥ अब छह काल के जीवों की आयु का प्रमाण कहते हैं : गायार्थ :-उन छह कालों के आदि और अन्त में आयु का प्रमाण कम से तीन पल्य और दो पल्य, दो पल्म एवं १ पल्य, एक पल्य एवं पूर्वकोटि, पूर्व कोटि एवं १२० वर्ष, १२. वर्ष एवं २० वर्ष तपा २० वर्ष एवं १५ वर्ष प्रमाण है || २ || विशेषार्थ:-उन छह कालों में से प्रथम काल की मादि में जीवों की आयु का प्रमाण तीन पस्योपम और अन्त में दो पन्योपम प्रमाण है। दूसरे काल के प्रारम्भ में दो पल्योपम और मम्स में एक परयोपम प्रमाण है । तीसरे काल के प्रारम्भ में आयु का प्रमाण एक पल्पोपम और अन्त में
SR No.090512
Book TitleTriloksar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, Ratanchand Jain, Chetanprakash Patni
PublisherLadmal Jain
Publication Year
Total Pages829
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size19 MB
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