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गाथा . ७६४ नरतिपग्लोकाधिकार
५६ ( १३१०७६६००००° ) में से घटा देने पर ५०३७५००००००० योजन अवशेष रहे, इसमें ५ का भाय देने पर ( ३०३७५.१०.०० - ५०६२५०००.०० योजन लब्ध प्राप्त हुआ, और इसका वर्ग मूल २२५००० योजन होता है, यही कुरुक्षेत्र के वाण का प्रमाण है। পথ সন্ধানই অ্য যন যুগঃ
जीवा विक्खमाणं वगाविसेसस्स होदि जम्मूले । तं विक्वंमा सोहय सेसद्धमिसुं विजाणाहि ।। ७६४ ॥ जोवाविष्कम्भयोः वर्गविशेषस्य भवति यन्मूलं ।
तव विष्कम्भात् शोधय शेषामिषु विजानीहि ॥१६॥ जीवा । जीवा ५३००० वर्ग २८०००.००. विकम्म १२:१५४१० वगैरण समं १४४९१११०१०० समच्छेवं फरवा ८२१३७६६६०००००० परस्परं शोषयिरवा ६५८६११७७९४०१०० मूलं सङ्गःह्म ११७४१० तविष्कम्भाव १२.१० गोषय ४०५.०० शेषमई २०२५००० विषाय प्रत्य हार १७१ एकोनविंशतिर्मवेति विषाकृत्य १६x६ तबस्थनवान तस्मिन्नः २०२५०.. भक्त पति कुरोगिमायाति २२५५०० ॥ ७६४ ॥
प्रकारान्तर से वाण प्राप्त करने के लिए करण सूत्र कहते हैं :
गाथार्थ :-वृत्त विकम्म के वर्ग में से जोवा का वर्ग घटाने पर जो अबशेष रहे, उसका वर्गमूल निकालना, तथा उस वर्गमूल को वृत्तविष्कम्भ के प्रमाण में से घटा कर, अवशेष का आधा करने पर जो प्रमाण प्राप्त हो वही वाण का प्रमाण है ।। ७६४ ॥
विशेषावं :-जम्बू द्वीप के कुरुक्षेत्र की जीवा का प्रमाण ५३००० योजन है, और इसका वर्ग ( ५३...४५३०००)= २८०९.०.००० योजन है । वृत्त विष्कम्भ के प्रमाण १२१४४९० योजन का वर्ग (१२१६५४६. ) = १४७६६१४६९४० १०० योजन है । जीवा के वर्ग २८०६०००००० योजनों को ३१३ से गुणित करने पर ( २८०६००.०० x ६३ )=८२१३७९६१०००.०० योजन हुए। इसे वृत्त विष्कम्भ के वर्ग में से घटाने पर १४०९१९१५६९४०१००-५२१३७६६६५५८६११५७६४.१०० योजन अवशेष रहे। इस अवशेष के वर्गमूल ८११५४९० योजनों को पत्त विकम् १२१६५४६० योजनों में से घटाकर ( १२१६५४९०-८११५४६० = Mat.. अवशेष का
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