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त्रिलोकसा
लक्षत्रयं द्वानत्र तिसहस्र द्वादश च सर्वनदीसंख्या । भरतेरावचप्रभूति हरिरम्यकक्षेत्रान्तं ज्ञातव्या ॥ ७४६ ॥
गाथा : ७४९-७५०
पक्व लक्षत्रयं नवतिसहस्राणि द्वादश व ३६२०१२ भरतैरावतप्रभूतिरिरम्यक क्षेत्रपर्यतं सर्ववीसंख्या ज्ञातया । तत्कथं ? भरते गङ्गासियोः २ प्रत्येक परिवारनद्यः १४००० हैमवते रोहिद्रोहितास्थयोः २ प्रत्येक परिवारमद्यः २८. हरिक्षेत्रे हरिद्धरिकान्तयोः २ प्रत्येक परिवारमद्य: ५६९०० एवमंशयते रतारतोक्यो: १४००० १२व्यवसे सुवरूप्यक लयोः २८००० रम्यकक्षेत्रे नारीनरकासयो: ५६००० स्वगुणकारेण गुरुयित्वा मिलिले प्रायान्ति ॥ ७४ ॥
गापार्थ :- भरत क्षेत्र से हरिक्षेत्र पर्यन्त और ऐरावत क्षेत्र से रम्यक क्षेत्र पर्यन्त की सम्पूर्ण नदियों का प्रमाण लीन लाख, बानवे हजार, बारह है ।। ७४९ ।।
विशेषार्थ :- भरत से इरिक्षेत्र पर्यन्त और ऐरावत से रम्यक पर्यन्त के समस्त क्षेत्रों की सम्पूर्ण नदियों का प्रमाण तीन लाख नाभवे हजार बारह ( ३९२०१२ ) है वह कसे ? भरतक्षेत्र में गंगा-सिन्धु प्रत्येक की परिवार नदियाँ १४००० है। अतः ( १४०००२ ) - २८००० कुल प्रमाण हुआ । हैमवत क्षेत्र गत रोहित रोहितास्या में प्रत्येक को परिवार नदियाँ २८००० है, अतः (२६०००x२ ) = ५६०००, रिक्षेत्र गत हरित् हरिकान्ता प्रत्येक की सहायक ५६००० है, अत: ( १६०००x२ } = ११२०००, ऐरावत में रक्ता रक्तोदा प्रत्येक की परिवार नदियां १४००० है अतः ( १४००० × २ ) = २८००० हैं । हैरण्यवत में सुवरशंकूला - रुप्यकूला प्रत्येक की २५००० परिवार नदियां है, अतः (२८००० × २ ) == ४६००० हैं तथा रम्यक क्षेत्र में नारी-नरकारला प्रत्येक की सहायक नदियों ५६००० है, अत: (५६०००X२) ११२००० हैं । इस प्रकार विदेह क्षेत्र को छोड़कर शेष क्षेत्रों की सम्पूर्ण नदियों का कुल योग (२८००० + ५६००० + ११२०००+२८०००+ ५६०००+११२०००+ १२ ) = ३६२०१२ है ।
सचरसं बाणउदी णमणवसुण्णं पणईण परिमाणं । गंगासिंधुसुखाणं जंबूदीवप्पभूदाणं || ७५० ।। सप्तदश द्वानवतिः नभोनवशून्यं नदीनां परिमाणं । गङ्गा सिन्धुसुतानां जम्बूद्वीपप्रभूतानाम् || ७५० ।।
सत्तरसं । सप्तवश द्वानवसिनं भोनव शून्यं १७६२०० जम्बूद्वीपोभूतानां गङ्गासिन्धुप्रमुखान सनी प्रमाणं स्यात् । एतच्चोगापयोरङ्कानां मेलने स्यात् ॥ ७५० ॥
गायार्थ :- जम्बूद्वीप में उत्पन्न गङ्गा सिन्धु हैं प्रमुख जिनमें ऐसी सम्पूर्ण नदियों का प्रमाण सतह लाख बानवे हजार नवे है ।। ७५० ॥