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________________ नरतियं ग्लोकाधिकार्य རྣམས पाया : ७४८-७४१ नदियों का ( २८००० x ४ = ११२००० है । इसी प्रकार हृदि और रम्यक इन दो क्षेत्र सम्बन्धी चार नदियों में प्रत्येक की परिवार नदियाँ ५६००० हैं, अतः दोनों क्षेत्रों में चारों नदियों की कुल परिवार नदियों का प्रमाण (५६००० ४४ ) = २२४०० है । बादालसहस्से पुछ कुरुदुणदी दुगदुपास जादणदी | चोदलक्खडसदरी विदेहदुगसइखा || ७४८ ।। द्वाचत्वारिंशत्सहस्राणि पृथक् कुरुद्धयनद्यः द्विकद्विपाएवं जानद्यः । चतुर्दशलक्षाप्रति विदेहद्विक सर्व नदीसंख्या ।। ७४८५ ॥ बाबाल | देवोलरकुर्थी: नवोद्रयोपपापजाता नथ: पृथक पृथक द्वारा शिरसहस्राणि देवकुरुना नद्यः ८४००० उत्तरकुदशा नद्यः ८४००० विवेढयगत सर्व नदीसंख्या मट्टसप्तत्युत्तर चतुवंशलक्षाणि १४०००७८ । तत्कयं ? विदेहगसगङ्गा सिन्धुसमनयोन। ६४ प्रत्येक परिवारनद्यः १४००० विभङ्गनवीन १२ प्रत्येक परिवारनद्यः २८००० देवोत्तरकुर्वीः प्रोतासीतोदयोः २ प्रत्येक परिवारनद्यः ८४००० एतासु स्वश्वगुरुकारेण गुणयित्वा सत्र सत्र मुख्यमदी ७८ सहितं सर्वासु मिलितासु विदेहयगल सर्व नदीसंख्या ॥ ७४८ ॥ गायार्थ :- देव कुरु, उत्तरकुरु दोनों क्षेत्रों को दो नदियों के दोनों पार्श्व भागों पर पृथक पृथक, ४२ हजार ४२ हजार परिवार नदियों हैं, तथा दोनों विदेहों की सम्पूर्ण नदियों की संख्या चौदह लाख उत्तर है | ७४८ ॥ विशेषार्थ :- देव कुरु क्षेत्र में सीतोदा नदी के दोनों पार्श्व भागों से उत्पन्न पृथक पृथक ४२००० परिवार नदियाँ और उत्तर कुरु क्षेत्र में सीता नदी के दोनों पार्श्व भागों से पृथक पृथकउत्पन्न ४२००० परिवार नदियाँ हैं। इस प्रकार देवकुरु गत सोतोदा की सहायक ४००० और उत्तर कुछ गत सीता की परिवार नदियाँ भी ४००० है । - दोनों विदेह क्षेत्रों में सम्पूर्ण नदियों का प्रमाण १४०००७६ है । वह कसे १ विदेहस्य १४ गङ्गासिन्धु और रोहित रोहितास्या की कुल परिवार नदियाँ ( १४०००६४ ) = १६०००, १२ विभङ्गा की कुल परिवार नदियाँ ( २८०००×१२) ३३१०००, देवकुम उत्तरकुछ गत सीता सीतोदा | ७८ हैं । को परिवार नदियाँ ( ८४०००x२) १६८००० तथा मुख्य नदियाँ ( ६४ + १२+२ ) - इन सम्पूर्ण नदियों का कुल योग ( ८६६०००+ ३३६००० + १६८०००+७८ १४०००७८ है । अर्थात् पूर्वपश्चिम दोनों विदेह क्षेत्र गत सम्पूर्ण नदियों का प्रमाण १४०००७८ है । लक्खतियं बाणउदीसहस्स चारं च सव्वणसंखा । भरावद पहूदी इरिरम्मगखेच ओचि नादव्वा ॥ ७४९ ॥
SR No.090512
Book TitleTriloksar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, Ratanchand Jain, Chetanprakash Patni
PublisherLadmal Jain
Publication Year
Total Pages829
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size19 MB
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