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त्रिलोकसार
सात एवं ४ कूटों की ऊंचाई भी जानना चाहिये । यथा – १ = ४३=x= १२३ योजन, १ - १६ योजन, १५ x ५ = २०१ योजन और २१४ - २४ योजन, इन सभी को भिन्न भिन्न १०० योजन मुख में जोड़ देने पर १०४१ योजन, १०८ योजन, ११२३ योजन, ११६३ योजन, १२०३ योजन और १२५ योजन, दूसरे एवं चौधे गजदन्तों के ऊपर स्थित द्वितीयादि कूटों की ऊँचाई का प्रमाण प्राप्त होता है ।
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इसी प्रकार वनार पर्वतों के ऊपर अवस्थित कूटों की ऊंचाई योजन २५ योजन हुई। इनमें १०० योजन मुख जोड़ने से १०० प्राप्त होते हैं । अर्थात् वक्षार पर्वतों पर ४, ४ कूट हैं, उनमें से पहिले की ऊंचाई १०० योजन, दूसरे कूट की १०८३ योजन और तीसरे कूट की १९६३ योजन और चौथे कूट की ऊँचाई १९५ योजन है । वक्षार के कूटों की ऊंचाई भी इसी प्रकार जानना चाहिए।
इदानीं भरतादिक्षेत्राश्रयेण परिवारनदीप्रमाणं गाथाचतुष्केाह
पाच ७४७
x १ = 3 x = १६३
११६ और १२५ योजन
धरहरावदसविदा विदेहजुगले च चोद्दमसहस्सा | रित्तो हरिरिति ॥ २७ ॥
भरत रावत सरितः त्रियुगले च चतुर्दशसहस्राणि । नदी परिवारः ततः द्विगुणा हरिरम्यकक्षेत्रान्तं ॥ ७४७ ॥
मरह | भरतरावयोः सरितां ४ पूर्वापर वियोगंङ्गादिसरिता च ६४ प्रत्येकं चतुर्दशसहखाणि १४००० परिवारनद्यः ततः परं भरताद्धरिवर्षपर्यन्तं ऐरावताप्रम्यक क्षेत्रपर्यन्तं द्विगुरद्विगुणक्रमो
ज्ञातव्यः ॥ ७४७ ।।
अब भरतादि क्षेत्रों के श्राश्रय से परिवार नदियों का प्रमाख चार गाथाओं द्वारा कहते हैं
गावार्थ:- भरतरावत क्षेत्र में पूर्व और पश्चिम विदेह युगल स्थित प्रत्येक नदी की चौदह ह हजार परिवार नदियाँ हैं तथा भरत से हरि और ऐरावत से रम्यक क्षेत्र पर्यन्त परिवार नदियों का प्रमाण न दूना है ।। ७४७ ॥
विशेषार्थ :- भरतेरावत दो क्षेत्रों में गङ्गा, सिन्धु और रोहित रोहितास्था इस प्रकार ४ नदियाँ हैं। पूर्व पश्चिम दोनों विदेह के ३२ देशों में गङ्गा, सिन्धु रोहित और रोहितास्या ये ६४ नदियाँ हैं । इन ( ६४ + ४ = ६८ नदियों में प्रत्येक नदी की सहायक नदियां १४००० हैं, जतः इन ३४ देशों की कुल परिवार नदियों की संख्या ( १४००० ४६८ ) = ६५२००० है | भरत ऐरावत से रम्पक क्षेत्र पर्यन्त परिवार नदियाँ दुगुने दुगुने क्रम से हैं। अर्थात् दो क्षेत्र सम्बन्धी चार नदियों में प्रत्येक की सहायक २८ हजार है, अतः दोनों
हरिवर्षपर्यन्त और हैमवत और हैरण्यवत क्षेत्रों की कुल परिवार