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त्रिलोकसाए
पापा : ७१३
गापार्थ :-प्रत्येक वक्षार पर चार चार क्रूट हैं जिनमें एक कट का नाम सिद्ध, दूसरे का अपने अपने वक्षार का जो नाम है, वही नाम कट का है, तथा शेष वो कटों के नाम वक्षार पर्वतों के दोनों पाव भागों में स्थित देशों के जो नाम हैं, वह हैं। प्रत्येक वक्षार पवंतों की लम्बाई सोलह हजार पाच सौ बाप्नवे योजन और भाग अर्थात् १६५६२१ योजन है ।। ७४३ ।।
विशेषार्थ:-सोलह वक्षार पर्वत हैं और प्रत्येक पर चार चार कूट हैं, उन फूटों के नाम निम्नलिखित है :
|मांक
| वक्षार पर्वतों के नाम |
| २ रे कूटों के नाम ३ रे कूटों के नाम
४ थे कूटों के नाम
१] चित्रकूट
कण्या
शुरुम्छा
सिद्ध कूट , चिकूट
- | पद्मकूट
पभकूट
महाकट्टा
कच्छावती
नलिन
नलिन
आवळ
एक शैल
दुषकला
एकसैल त्रिकूट
लागलावती पुष्कलावती सुवासा
त्रिकूट
वत्सा
वैश्रवण
वैश्रवण
महावासा
वत्सकाक्ती
सजनात्मा
अनात्मा
एम्या
सुरम्यका
अञ्जन
रमणीया
मङ्गलावती
श्रद्धावान्
पद्मा
श्रद्धावान् विजटावान्
विजटावान्
सुपा पद्यकावती
महापद्मा
माशीविष
आशीविष
शड्डा
नलिनी
सुखावह
सुखावह
कुमुद
सरित
चन्द्रमाल
चन्द्रमाल
वप्रा
सुवा
सूर्यमाल
सूर्यमाल नागमाल देवमाल
नागमाल
महावप्रा वप्रकावती गन्धा
सुगन्धा गान्धिला | गन्धमालिनी
१६
देवमाल