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गाया : ७४४
नरतियं ग्लोकाधिकार
वक्षार पर्वतों की लम्बाई १६५६२
योजन है । इतनी लम्बाई कैसे है ?
'चुलसीदि छत्तीसा' गाथा संख्या ३०३ में विदेह का विष्कम्भ ३३६०४२४ योजन कहा गया है। सीता सीतोदा दोनों नदियों में से विवक्षित नदी व्यास ५०० योजन घटाकर आधा करने पर ( ३३६८४ ५४ - ५०० = ३३१६४२) १६५९२६३ योजन प्रत्येक वक्षार पर्वत को लम्बाई का प्रमाण प्राप्त होता है ।
कुलगिरिसमी कूडे दिक्कण्णा मो वसंति सेसेसु । राणा कूडपमाहिद नगदीहो कूडमंतर || ७४४ ॥ कुलगिरिसमीपकूटे दिवकन्याः वसन्ति शेपेपु । वानाः कूटप्रसाहित नगर्दयें कूटान्तरं ॥ ७४४ ||
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फुल फुलगिरिसमीपस्थवक्षारो २० परिमकटे विकन्या बसल, शेषेषु कटेषु ७५२ तदेवातिष्ठन्ति स्वश्वकूटप्रमाः ६।७।४ सतवंध्यें गजदश्ये ३०२०१६ इतरवारदे १६५२] हृते स्वस्वकूटान्तरं स्यात् । नवकूटाम्वराणामेला बति गजवन्त क्षेत्रं ३०२०६१४ एककूटान्तरस्थ कियरक्षेत्रमिति सम्पात्यांशिति ३०२०६ मंभ ३३५६ उभयश हे समच्छेदेन प। न मेलने देने एककूटान्तरक्षेत्रं स्यात् । एतदेव नवकूटान्तरं । एवं सप्तकूटागारस्य राशिकविषय: प्र७३ २०११ स सप्तकूटान्तरं ४३१५३ चतुः कूटान्तराणामेतावति वजार क्षेत्रे १६५६२१] एककूटान्तरस्य किमिति सम्पात्यांशिनांश च भक्त सम्मेलने एककूटान्तरं स्यात् ४१४८] एतवेष चतुः कूटान्तरं स्यात् ॥ ७४४ ॥
गाथार्थ :- कुलाचलों के समीपवर्ती कूटों पर दिवकुमारियों और शेष कूटों पर व्यस्त देव निवास करते हैं। जिन पर्वतों पर जितने फूट हैं, उन कूटों के प्रमाण से अपने अपने पर्वतों की लम्बाई के प्रमाण को भाजित करने पर एक कट से दूसरे कट का प्रन्तर प्राप्त होता है । ७४४ ॥
विशेषार्थ :- चार गजदन्त और १६ वक्षारों को मिलाकर २० वक्षाय पर्वत हैं। इनके ऊपर क्रम से ६,७, ६, ७ और ४, ४ कूट हैं। इन ९६ फूटों में से जो एक एक कूट कुलाचलों के समीपवर्ती हैं उन ( २० कूटों ) पर दिक्कुमारियों का निवास है, तथा प्रत्येक पर्वत के प्रथम सिद्ध या सिद्धामन नामक ( २० ) कूटों पर जिन भवन हैं और अवशेष दो गजदन्तों के सात, सात, दो गजदन्तों के पांच पांच और १६ वक्षार पर्वतों के दो दो इस प्रकार ५६ कूटों पर व्यन्तर देवों का निवास है ।
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गजदन्त पर्वतों की लम्बाई ३०२०६१ योजन तथा वक्षार पवंतों को लम्बाई का प्रमाण १६५२] योजन है। इनको अपने अपने फूट प्रमाण ६, ७ और ४ से भाग देने पर एक कूट से दूसरे कूट के अन्तर का प्रमाण प्राप्त होता है । यथा-जबकि कूटों के अन्तराल पर ३०२०९५५ योजन क्षेत्र