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________________ त्रिलोकसार गाथा: ७१२७१५ खेमा खेमपुरी घेरिद्वारिद्वपुरी तहा । खगमा य मंजुसा चेव भोसही पुंडरीकिणी ||७१२|| सुसीमा कुंडला चेव पराजिद पईकरा | अंका पउमावदी चेव सुभा रयणसंचया ।। ७१३ ।। मस्सपुरी सींहपुरी महापूरी तइ य दोदि विजयपुरी । अरथा विरया चेव मसोगया वीदसोगा य ।। ७१४ ॥ विजया च वइ जयंती जयंत अवराजिदा य बोदव्या। चक्कपुरी खग्गपुरी होदि अयोमा अबझा य ||७१५|| क्षेमा क्षेमपुरी चैव अरिया अरिष्टपुरी तथा। खङ्गा च मज्जूषा वेव ओषधी पुपरीकिरणी ॥ ७१२ ।। सुसीमा कुण्डला चैव अपराजिता प्रभङ्करा। सहा पद्मावती व शुभा रत्नसंचया ॥७१३।। अश्वपुरी सिहारी महापुरो तथा च भवति विजयपुरी। अरजा विरमा चैव अशोका वीतशोका च ॥ १४ ॥ विजया च वैजयन्ती जयन्ता अपराजिता च बोद्धव्या। चऋपुरी खड्गपुरो भवति अयोध्या अवघ्या च ।। ७१५ ॥ खेमा । फुप्तीमा । प्रस्सपुरी । छायामात्रमेवार्थ ॥ ७१२-७१४ ॥ विजया । छायामानमेवाः ॥७१५ ।। भरतरावतगतमहिमगरयोस्तु माम्मोनियतत्वात एका नाम्ना मध्ये मध्यतमं भवतीति पृषा न गृहोते ॥ चार गाथाओं में उन राजधानियों के नाम कहते है गामा :- पूर्वोक्त कच्छादि विदेह देशों में मुख्य राजषानियों के नाम क्रमशः] १क्षेमा, २ क्षेमपुरी, ३ मरिष्टा, ४ अरिष्ट्रपुरी, ५ खङ्गा, ६ मञ्जूषा, ७ औषधी, ८ पुण्डरीकिणी, ९ सुसीमा, • कुण्डला, ११ अपराजिता, १२ प्रभङ्करा, १३ अङ्का, १४ पद्मावती, १५ शुभा, १६ रत्नसश्चया, १७ अश्वपुरी, १८ सिंहपुरी, १९ महापुरी, २. विजयपुरी, २१ बरबा, २२ विरजा २३ अशोका, २४ वीतशोका, २५ विजया, २६ वैजयन्ती, २७ जयन्ता, २८ अपराजिता, २ चकपुरी, ३० खड़गपुरी, ३१ अयोध्या और ३२ अयध्या ये ३२ नाम है ।। १२-१५ ॥ विशेष-भरतैरावत क्षेत्रों में चक्रवती राजाओं को राजधानियों के नाम कोई एक नियम रूप नहीं हैं, इसलिए पूर्वोक्त नामों में से ही कोई एक नाम होगा, अतः उनका अलग नाम नहीं कहा।
SR No.090512
Book TitleTriloksar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, Ratanchand Jain, Chetanprakash Patni
PublisherLadmal Jain
Publication Year
Total Pages829
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size19 MB
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