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गाथा । ६७४ - १७५
निग्लोकाधिकार
जंबोर । तान्यरण्यानि सम्बोरजम्बुक लोक स्लीम हिल लिप्रभूतिवृक्षः बहुमिवसरोभवपोभिः प्रासादश्च युक्तानि ॥ ६७३ ॥
उन वनों के वृक्ष आदि के सम्बन्ध में कहते हैं :
गाथार्थ :- वे देवारण्य वन जम्बीर, जम्बु, कदली, अशोक, चमेली एवं बेल प्रादि वृक्षों तथा बहुत से देव सरोवरों, बावड़ियों, प्रासादों एवं गृहों से संयुक्त हैं ॥ ६७३ ।। विदेहदेशानां प्रामादिलक्षण गाथाश्रये शाह
देसे पुछ पूछ गामा छण्णउदीकोहि णयरखेडा य । खव्व मडंव पट्टण दोणा संवाद दुग्गडवी || ६७४ ।। छब्बीसमदो सोलंचवीसचउक्कमच महदालं ।
उदीोट्स मडवी कपसो सहस्सगुणा || ६७५ ॥ देशे पृथक् पृथक् ग्रामाः षण्णव तिकोट्यः नगरखेटा: च । खवंडा मड़वा पट्टनानि द्रोणाः सम्बाहा दुर्गाटव्यः ॥ ६७४ ।। पविषमतः षोडशः चतुविशं चतुष्कमेव अष्टचत्वारिंशत् । नवनवतिः चतुर्दश अष्टाविंशं क्रमशः सहस्रगुग्गानि ।। ६७५ ।।
ऐसे | विदेहत्थेषु द्वात्रिशद्द शेषु पृथक् पृथक् ग्रामाः चण्ावतिकोटचः ६६००००००० नगरालि खेट: जा: पत्तनानि होलाः सम्बाहाः दुर्गाः ॥ ६७४ ॥
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goate | नगरावीनt संख्या ययाक्रमं षड्विंशतिसहखाणि २६००० षोडशसहस्राणि १६००० चतुशिति २४००० चत्वारिसहस्राणि ४००० चवादिशत्सहस्राणि ४८००० नवनवतिसहस्राणि ६००० चतुर्दशसहस्राणि १४००० प्रष्टाविंशतिसहस्राणि २८००० भवन्ति ।। ६७५ ।।
तीन गाथाओं द्वारा विदेह देशों के ग्रामादिकों का लक्षण कहते हैं :
गाथार्थं :- प्रत्येक विदेह क्षेत्र में पृथक् पृथक् छ्यानवे करोड़ ग्राम हैं, तथा नगर, खेट, खड, 'ब, पत्तन, दोरा, संत्राह और दुर्गाटवी छवीस, सोलह चौवीस, चार, अड़तालीस, नित्यानवे चौदह पौर अट्ठाईस क्रम से हजार गुणे हैं । अर्थात् एक हजार में क्रम से छब्बीस, सोलह आदि का गुणा करने से नगर खेट यादि का प्रमाण प्राप्त होता है || ६७४ ६७५ ।।
विशेषार्थ :- पूर्व और अपर विदेह के सीता सीतोदा नदियों के द्वारा चार
मध्य प्राप्त हुए प्रत्येक विदेह में
दो वेदियों, चार वक्षार पर्वों और तीन विभङ्गा नदियों इन ९ विदेह हैं। इस प्रकार चार विभागों में ३२ विदेह क्षेत्र स्थित हैं। ९६ हजार नगर, १६ हजार खेट, २४ हजार खवंड, ४ हजार मबंब, ४८ हजार पत्तन, १४ हजार संवाह और २८ हजार दुर्गाटवी है ।
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बिभाग हुए थे । अन्तरालों में प
६ करोड़ ग्राम ६६ हजार दोरा,