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गाथा : १०-११-१२
लोकसामान्याधिकार अब मान के भेद प्रभेद कहे जाते हैं :--
गायार्थ :--मान दो प्रकार का है। १ लौकिक मान, २ अलौकिक मान । लौकिक मान छह प्रकार का है-मान, उन्मान, अवमान, गणि मान, प्रतिमान और तत्प्रतिमान ॥९॥
विशेषार्थ :-सुगम है। एतेपा पण्णां यथासंख्यं दृष्टान्तमुवनोपपत्तिमाह--
पस्थतुलचुलुयएगप्पहुदी गुंजातुरंगमोलादी । दब्धं खितं कालो भावो लोगुत्तरं चदुधा || १० ॥ प्रस्थतुलाचुलुके प्रभूति गुञ्जातुरंगमुल्यादि ।
द्रव्यं क्षेत्र कालो भावो लोकोत्तर चतुर्धा ॥ १७ ॥ पस्थ | पति तुलापमुनि मुटुमा काम गुजावि तुरङ्गमूल्यायोति । इतो लोकोत्तरमाम मेव उच्यते ।ग्य क्षेत्र कालो भाव इति लोकोत्तरं चतुर्था ॥१०॥
इन छह मानों की यथाक्रम दृष्टान्तपूर्वक उत्पत्ति इस प्रकार है :
गाथार्थ :--प्रस्थ, तुला, चुल्ल. एकादि, गुजाफल और घोड़े आदि का मूल्य ये क्रमशः लौकिक मान हैं, और द्रव्य, क्षेत्र, काल एवं भाव ये चार लोकोत्तर मान हैं ॥१०॥
विशेषाय :-अनादि का जिससे माप किया जाता है, ऐसे प्रस्थादि को मान; तुलादि को उन्मान; चुम्ल से जो जलादि का माप होता है, उसे अवमान; एक, दो, तीन आदि को गणिमान; गुआदि के माप को प्रतिमान और घोड़े के अवयवादि देख कर मूल्य करने को तत्प्रतिमान कहते हैं। द्रव्य, क्षेत्र, काल और भाव ये चार लोकोनर मान हैं। अथ तेषां चतुण ययासंख्येन जघन्योत्कृष्टप्रतीत्यर्थ गाथाचतुष्टयमाह--
परमाणु सयलदध्वं एमपदेमो य सबमागाम । इगिसमय सन्चकालो सुहमणिगोदेस पूण्णेसु ।। ११ ।। णाणं जिणेसु य कमा अबर वरं मज्झिम अणेयविहं । दव्यं दुविहं संखा उपमपमा उवम अविहं ।।१२।। परमाणुः सकलद्रध्य एकप्रदेश: च. सर्वमाकाशम् । एकसमयः सर्वकाल: सूक्ष्म निगोदेषु अपूर्णेषु ।। ११ ।। ज्ञानं जिनेषु च कमात् अवरं वरं मध्यम अनेकविधम् ।
द्रव्यं द्विविध संख्या उपमाप्रमा उपमाष्टविधा ॥ १२ ॥ परमाणु । परमाणुः १ सकलद्रव्यं १६ व एकप्रदेशः १ सर्वमाकामं १६ खसख एकसमयः १ सकाल: १६ स स सूक्ष्मनियोबलध्यपर्याप्तकेषु नानम् ।। ११ ।।