SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 583
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पाषा : १५२-६५३ नरलियंग्लोकाधिकार ५५६ दिशागत देवकुरुक्षेत्र में शाल्मली वृक्ष की मनोहारिणी रूप्यमयी स्थली है। वहाँ अपने १४०१२० परिवार शाल्मली वृक्षों सहित मुख्य शाल्मली वृक्ष है ।। ६५ ।। जंघुसमवण्णणो सो दक्खिणसाइम्हि जिणगिह सेसे । दिससाहतिए गरुहवइवेणूवेणादिधारिगिहं ।। ६५२ ।। जम्बुसमवर्णनः स दक्षिणशाखाया जिनगृह शेषे । दिशाशाखात्रये परसपत्तिवेणुवेग्वादिधारिगृहम् ।। ६५२ ॥ जंबू । पनी जम्बू समवर्णनः तस्य दक्षिणशाखायां जिनगृहमस्ति । शेषे विगतशाखाये गहापरयोर्वेणुवेणुषारिणोः गृहाणि संति ।। ६५२ ।। गाषा: शाल्मली वृक्ष का वर्णन भी जम्बूरसदृश ही है । शाल्मली को दक्षिण शाखा पर जिन भवन और शेष तीन शाखाओं पर गरुडकुमारों के स्वामी वेणु और वेणुपारी देवों के भवन हैं ।। ६५२ ॥ विशेषापं:-जम्बूवृक्ष मौर शाल्मली वक्ष का वर्णन एक सा ही है। विशेषता इतनी ही है कि शाल्मली की दक्षिण शाखा पर जिनमन्दिर है और शेष तीन शाखामों पर गरुडपति वेणु और वेणुधारी देवों के आवास हैं तथा शाल्मली वृक्ष के परिवारवृक्षों पर वेणु और वेणुधारी देवों के परिवारों के आवास है। अथ भोगभूमिकममुम्योविभागमाह कृरुयो हरिरम्मगभू हेमवदेरण्णवदखिदी फमसो । भोगधरा वरमझिमवराय कम्मावणी सेसा ।। ६५३ ॥ कुरू हरिरम्यकभुवो हैमवतरण्यवतक्षिती क्रमशः । भोगधराः वरमध्यमावराः कविनयः शेषाः ॥ ६५३ ॥ कुश्मो। देवकुहत्तरकुरक्षेत्र में उत्तमभोगभूमी हरिरम्पकक्षेत्र मध्यमभोगमूमी, हेमवतहरण्यवत क्षेत्रे जघन्यभोगभूमी स्याता। शेषाः सर्गः कर्मभूमयः ॥६५३ ।। नापाम:-देवकुरु और उत्तरकुरु क्षेत्र में उत्तमभोग भूमि है, हरि और रम्यक क्षेत्र में मध्यम भोगभूमि है तथा हैमवत और हैरण्यवत क्षेत्र में जघन्य भोगभूमि है, इस प्रकार को उसम भोगभूमिया दो मध्यम और दो जघन्य इस प्रकार कुल छह भोगभूमियाँ हैं । घोष बचे सभी क्षेत्रों में कर्मभूमिया है अर्थात् ५ भरत ५ ऐरावत और ५ विदेह-कुल १५ कर्मभूमिया है। अथ यमकगिरे: स्वरूप गाथादयेनाह
SR No.090512
Book TitleTriloksar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, Ratanchand Jain, Chetanprakash Patni
PublisherLadmal Jain
Publication Year
Total Pages829
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy