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पिलोकसार
भाषा: E४५-
णवमतिए जलणजमे गेरिदि मन्मंतरतिपरिसाणं । बत्तीस ताल मदालसहस्सा पायवा कमसो ॥ ६४५ ॥ नवमत्रये ज्वलनयाम्ययो! नैऋत्यां अभ्यन्तरत्रिपरिषदी।
द्वात्रिंशत् चत्वारिंशत् अष्टचत्वारिंशत् सहस्राणि पादपाः क्रमशः ।।६४५॥ पवम । नक्षमे वशमे एकादशे पाराले यथासंख्य पाग्नेय्या याम्या नेत्या विशि पभ्यन्तराविपरिषस्त्रयाणा द्वात्रिंशत्सहस्राणि चत्वारिंशत्सहस्राणि मनुषत्वारिंशत् सहस्राणि च पादपाः कमशो भवन्ति ।। ६४५ ॥
गाथार्य:-नवमत्रये अर्थात् नौवें, बसवें और ग्यारहवं अन्तराल में आग्नेय, दक्षिण और नैऋत्य दिशामों में अभ्यन्तर, मध्यम और थाह पारिषद देवों के कमयाः बत्तीस हजार, चालीस हजार और अड़तालीस हजार जम्बूवृक्ष हैं ॥ ४५ ॥
विशेषा:-नवम अन्तराल की आग्नेय दिशा में अभ्यन्तर पारिषद देवों के ३२००० वृक्ष, दसवें अन्तराल की दक्षिण दिशा में मध्यम पारिषद देवों के चालीस हजार वृक्ष और ग्यारहवे अन्तराल की वायव्य दिशा में बाय पारिषद देवों के ४८... जम्बूवृक्ष हैं।
सेणामहचराणं चारसमे पच्छिमम्हि सचेव । मुक्खजुदा परिवारा पउमादो पंचयज्झहिया ||६४६ ।। सेनामहत्तराणां द्वादशे पश्चिमायां सप्त।
मुख्ययुताः परिवाराः पद्मभ्यः पनाम्यधिकाः ।। ६४६ ।। सेसा । द्वादशेऽन्तराले पश्चिमायाँ विशि सेनामहत्तराणां सप्तव वृक्षाः मुख्यवक्षायुताः सर्षे परिवारपक्षाः पद्यारसि स्थितपणेभ्यः पञ्चाधिका:' स्युः। शान्तरालस्था: स्वारो वेवीक्षा: मुख्य एवृक्षः इत्येतरम्पषिकस्मात १४०१२० । ६४६ ॥
गाथा:-बारहवे अन्त साल की पश्चिम दिशा में सेना महत्तरों के सात वृक्ष हैं। एक मुख्य वृक्ष सहित सर्व परिवार वृक्षों का प्रमाण पद्म के परिवार पदों के प्रमाण से पांच अधिक है ॥ ६४६ ॥
विशेषा:-बारहवें अन्तराल में पश्चिम दिशा में सेना महत्तरों के सात ही जम्बू- वृक्ष हैं। इस प्रकार एक मुख्य जम्बू वृक्ष मे युक्त सम्पूर्ण परिवार जम्बूवृक्षों का प्रमाण पछद्रह में स्थित श्रीदेवी के पद्म परिवारों के प्रमाण से पाच अधिक है। यहाँ चौथे अन्तराल में चार अग्रदेवांगनाओं के चार और एक मुरूप जम्बू वृक्ष इस प्रकार पांच अधिक है। इस प्रकार १+१०++१६००० + ४०..+
. पक्षाधिकाः (ब.,प.)।