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________________ ५३१ fuलोकसाय भाषा । ६२६-३३० पचास योजन और मोटाई ८ योजन प्रमाण है । उन शिलाओं के ऊपर तीर्थङ्कर, सौधर्मेन्द्र और ईशानेन्द्र सम्बन्धी तीन सिहासन है ।। ६३५ ॥ अथ तदुपरिमासनत्रयश्वाम्यादिकमाह ममे सिंहासनयं जिणस्स दक्खिणगयं तु सोहम्मे । उत्तरमीसाणिंदे भद्दासणमिह तयं षट्ट ।। ६३६ ।। मध्ये सिंहासनं जिनस्य दक्षिणगतं तु सोधमें। उत्तरमीशानेन्द्र भद्रासनमिह श्रयं वृत्तम् ॥ ६३६ ॥ मने ! लए मध्ये विषस्य पक्षिरगगतं भद्रासनं ईशानस्योत्तरगतं भद्रासनं त्रयंवृत्तम् ॥ ६३६ ॥ उन शिक्षाओं के ऊपर स्थित सिहासन के स्वामी आदिक कहते हैं : नाथार्थ :- :- उन तीनों सिहासनों में बीच का सिहासन जिनेन्द्र देव सम्बन्धी है, दक्षिणगत सौधर्मेन्द्र का भद्रासन और उत्तरगत ईशानेन्द्र का भद्रासन है ये तीनों बासन गोलाकार हैं ।। ६३६ ।। विशेषार्थ :- पाण्टुक वन में मेरु शिखर पर स्थित उपयुक्त चारों शिलाओं पर तीन तीन सिहासन हैं। प्रत्येक शिला के मध्य का सिहासन जिनेन्द्र देव सम्बन्धी है। जिनेन्द्र सिहासन की दक्षिण दिशा में सोधर्मेन्द्र का भद्रासन तथा उत्तर दिशा में ईशानेन्द्र सम्बन्धी भद्रासन है। ये तीनों आसन गोल हैं । अथ तदावनानामुदयादिकं मेरोश्चूलिकास्वरूपं चाह उदयं भृमुहवासं वसु पणपणसयतदपुब्वा | बेलुरिय चूलियस्स य जोयण चतं तु बारचउ ।। ६३७ ॥ उदयं भूमुखन्यासं षतृः पञ्चपञ्चशतं तदषं पूर्व मुखाः । वैडूर्यचूलिकामाच योजनं चत्वारिंशत् तु द्वादश स्वारि ।। ६३७ ।। यं । तदासनाना मुख्य भूमुखग्वासाः यथासंख्यं पञ्चशत ५०० पव्दशत ५०० व २५० धतुः प्रमिताः पूर्वमुखाश्च वडूयंमथ्या मेशेश्तूलिकायाश्वोवयमुखध्यासा यथासंख्यं चत्वारिशद ४० ड्रायरा १२ बरवारि ४ योजनानि स्युः ॥ ६३७ ॥ उन सिंहासनों का उदय आदि और मेरु पर्वत की चूलिका का स्वरूप कहते हैं : गावाचं :- उन भासनों का उदय, भूव्यास और मुख व्यास कम से पाँच सो, पांच सौ और पांच सौ के अर्ध ( २५० ) धनुष प्रमाण है। उन आसनों का सुख पूर्व दिशा की ओर है। [ पाण्डुक वन के मध्य मेरु की वैड्रयंमयी चूलिका है जिसका उदय भूभ्यास और मुख व्यास क्रम से ४० योजन, बारह योजन और चार योजन प्रमाण है ।। ६३७ ॥
SR No.090512
Book TitleTriloksar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, Ratanchand Jain, Chetanprakash Patni
PublisherLadmal Jain
Publication Year
Total Pages829
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size19 MB
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