________________
५२८
त्रिलोकसार
पाथा : ६२८ से ६३० पार्श्व भागों में रजत और रुचक कूट हैं, तथा चित्र भवन के दोनों पार भागों में सागर और बत्र नामक कूट हैं । ये माठों कूट स्वर्णमयी हैं। इनकी ऊँचाई ५०. योजन, नीचे भूमि की चौड़ाई ५. योजन, तथा ऊपर मुख व्यास २५० योजन है । इन कूटों के शिखरों पर दिक्कुमारियों के भवन हैं। जिनके नाम मेघङ्करा, मेघवती, सुमेघा, मेघमालिनी, सोयन्धरा, विचित्रा, पुष्पमाला और अनिन्दिता हैं। ये माठों ऋम से एक एक कूट पर स्थित भवनों में रहती हैं। अय नन्दनवापीस्वरूप गाथात्रयेणाह
अग्गिदिसादोचउचउउच्पलगुम्मायणलिणिउच्पलिया। वावीओ उप्पलुज्जल भिंगा बढी दु भिंगणिमा ॥ ६२८ ।। काल कसलपह सिरिभूदा सिरिकंद सिरिजुदा महिदा । सिरिणिलयलिणि गलिणादिमगुम्मिय कुमुदकुमुदषदा ॥६२९।। मणितोरणरयणुब्भवसोवाणा हंसमोरजंतजुद्दा । पण्णदलदीहवासो दसगाहो सोलवाचीया ।। ६३० || अग्निदिशः चतन्नः चतस्रः उत्पलगुल्मा च नलिनी उत्पलिका। दाप्यः उत्पलोज्जला भृङ्गा षष्ठी तु भङ्गनिभा ।। ६२६॥ कजला कजलप्रभा श्रीभूता श्रीकान्ता थोयुता महिता। श्रीनिलया नलिनी नपिनादिमगुल्मी कुमुदा कुमुदप्रभा ॥२९॥ मणितोरणरत्नोद्भवसोपानाः हंसमयूरयन्त्रयुताः ।
पश्वाश हलदीव्यासा! दशगाधाः षोडशवाप्यः ।। ६३ ।। पग्गि। पग्निविधाः पारम्य पतनाचतस्रो वास्यः सन्ति । तासां नामानि उत्पलगुल्मा नलिनी उत्पला उत्पलोज्वला भृङ्गाठो तु भनिभा ॥ ६२८॥
कडस । कज्जला कजलप्रभा श्रीभूता मोकान्ता श्रीमहिता बीमिलया मलिनी मलिमाल्मी कुमुवा कुमुवप्रमेति नामानि ॥ ६२६ ॥
मरिण । ताः षोग्यवाप्यो मरिणतोरणरस्नोमवसोपानाः हंसमपूरयन्त्रयुताः पश्चाशत्सहलवोधप्यासा वशयोजनाषणाधाः स्युः ।। ६३०॥
अब तीन गाथाओं द्वारा नन्दन धन स्थित वापियों का स्वरूप कहते हैं :
गावार्थ :-अग्नि दिशा से प्रारम्भ कर चारों विदिशाओं में क्रमशः चार चार बावड़ियाँ हैं। जिनके नाम १ उत्पलगुरुमा, २ नलिनी. ३ उत्पला, ४ उत्पलोज्वला, ५ मृङ्गा, ६ भङ्गनिभा, ७ कज्जला, ६ कमलप्रभा. ९ श्रीभूता, १० श्री कान्ता. ११ श्री महिना, १२ श्री निलया, १३ नलिनी, १४ नलिनीगुरुमा. १५ कुमुदा और १६ कुमुदरभा है । ये सोलह वापियाँ मणिमय तोरणों, रत्नमय सीढ़ियों और