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बापा।६२२से ६२७
नतिर्यगलोकाधिकार
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गंदण मंदर डिस हदो ए लगामाया। बजो कूडा कमसो गंदणवसईण पासद्गे।। ६२५॥ हेममया तुंगधरा पंचसयं तद्दलं मुहस्स पमा । सिहिरगिहे दिक्कण्णा वसंति तासिं च णाममिणं ॥६२६।। मेहंकरमेहवदी सुमेहमेहादिमालिणी ततो । तोयंधरा विचिता पुप्फादिममालिणिदिदया ।। ६२७ ।। नन्दनो मन्दरः निषधः हिमवान् रजतश्च रुचकसागरको। वज्रः कुटाः क्रमश: नन्दनवसतीनां पार्वद्विके ।। ६२५ ।। हेममया: तुङ्गधरा। पञ्चशतं तद्दल मुखस्य प्रमा। शिखरगृहे दिक्कन्याः वसन्ति तासां च नामानीमानि ॥१६॥ मेघरा मेघवती सुमेघा मेघादिमालिनी ततः।
तोमन्धरा विचित्रा पुष्पादिममाला अनिन्दितका ।। ६२७ ॥ एंवरण | नन्दनो मन्दरो मिषषो हिमवान रखताव रखकः सागरो ववाल्याः एते कूटा: कमशो मन्वनस्थवसतीनामुभयपाय तिष्ठन्ति ॥ ६२५ ॥
हेममया । ले कूटा हेममया सेषामुदय मूव्यासो प्रत्येकं पञ्चमतयोजनानि ५.० तद्दलं २५० मुखम्यासप्रमाणं तेषां शिखरगृहेषु विकन्या वसन्ति । तासां मानि नामान्य पक्ष्यमाणानि ॥ ६२६ ॥
___मेहकर । मेघरा मेघवती सुमेघा मेघमालिनी ततस्तोयन्धरा विचित्र पुष्पमाला पनिषिताख्याः स्युः ।। ६२७॥
मन्दन वन में स्थित भवनों के दोनों पाव भागों में जो कूटादिकों को अवस्थिति है उन्हें तीन पायाओं द्वारा कहते हैं :
गाया :--१ नन्दन, २ मन्दर, ३ निषध, ४ हिमवान्, ५ रजत, ६ रुचक, ७ सागर और ८ वप्न ये आठ कूट कम 3 नन्दन वन में स्थित चार भवनों के दोनों पारवं भागों में स्थित हैं। ये आठौं कूट स्वर्णमयी हैं. इनकी ऊँचाई पांच सौ योजन, नीचे भूमि व्यास ( चौड़ाई ) पांच सौ योजन तथा ऊपर मुख व्यास दाई सो योजन है। इन कूटों के शिखरों पर स्थित भवनों में दिक्कुमारियां रहती हैं, जिनके मेघङ्करा, मेघवती, सुमेघा, मेघमालिनी, तोयन्धरा, विचित्रा, पुष्पमाला और अनिन्दिता नाम हैं ॥ ६२५, ६२६, ६२७ ॥
विशेषार्थ । -नन्दन वन में स्थित मानी भवन के दोनों पार्श्व भागों में नन्दन कूट और मन्दर कुट है। चारण भवन के दोनों पाश्च भागों में निषध और हिमवान् कूट हैं। गन्धवं भवन के दोनों