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पाया । १२१-६२२ नरतियंग्लोकाधिकार
१२५ ऊंचाई और ध्यास अर्धप्रमाण हैं। अर्थात यहां के भवन २५ योजन ऊँचे और १५ पोजन भ्याम वाले है। इसी प्रकार पाण्डका वन का पूर्व दिशा में लोहित, दक्षिण में अजन, पश्चिम में हारिद्र और उत्तर में पाण्डुर नामक गोल भवन हैं। इनका उदय और व्यास सौमनस से अर्धेप्रमाण अर्थात् १२३ भोजन ऊँचे और ७३ योजन व्यास वाले हैं। अथ तद्भवनाधिपान् तनिताबाद
तब्भवणवदी सोमो यमवरुणकुवेरलोयवालक्खा । पुब्बादी तेसिं पुह गिरिकण्णा सादकोडितियं ।। ६२१ ।। तदभवनपतयः सोमः यमवरुण कुवेरा: लोकपालास्याः ।
पूर्वादिषु तेषां पृथक गिरिकन्यका साधकोटिश्रयम् ॥ ६२१ ।। तम्भवरण । सम्भवनाधिपतयः सोमयमवरुणकुदेराम्या: सौधर्मस्य लोकपालाः पूर्वादिरित Fagति 1 तेषां पृथक् पृपक सार्षकोटियागरिकन्यका भवन्ति ॥ ६२१ ॥
उन भवनों के स्वामी तथा उनकी देवांगनाओं के बारे में कहते हैं
गाथार्थ :-उन भवनों के स्वामी लोकपाल कहे जाने वाले सोम, यम, वरुण और कुबेर क्रमश: पूर्वादि दिशाओं में हैं। प्रत्येक लोकपाल की साढ़े तीन करोड़ गिरिकन्यका अथांत व्यन्वर जाति की देवाङ्गनाएं है ।। ६२ ।। अय तेषामायुष्यादिकमाह
सोमदु वरुणदुगाऊ सदलदु पन्लचयं च देसूर्ण । ते रचकिण्हकंचणसिदणेवत्यंकिया कमसो ।। ६२२ ।। सोमद्वयोः वरुणष्टिकायुः सदलद्वि फ्ल्यत्रयं च देशोनम् ।
ते रक्तकृष्णकाश्चनसितनपथ्याङ्किता: क्रमशः ॥ ६२२ ।। सोम । सोमयमयोवरणकुवेश्योश्चायुमंपासंख्यं पसहिततिपल्यं देशोनपल्यनयं च स्यात् । सोमाश्यो रक्तकणकाञ्चनसितवासकाराङ्किताः क्रमशः ॥ ६२२ ।।
अब उनकी आयु आदि का वर्णन करते हैं
पापार्थ :-सोम और यम की तथा वरुण और कुबेर की आयु क्रमशः पाई पल्य और कुछ कम तीन पल्य है । ये क्रमशः रक्त, कृष्ण, काश्चन और श्वेत् वर्ण के माभूषणों से अलंकृत हैं ।। ६२२॥
विशेषार्ष:-पूर्व दिशा के स्वामी कोकपाल की आयु २३पल्य और अलङ्कार लाल वर्ण के हैं। दक्षिण दिशा के स्वामी यम नामक लोकपाल की आयु २: पज्य और आभूषण कृष्ण ( काला) वर्ण . के हैं। पश्चिम दिशा के स्वामी व लोकपाल की आयु कुछ कम तीन पल्प और मलबार काधन