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नरतिर्यग्लोकाधिकार
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गाया : १६५
पश्चात् उत्तराभिमुख होती हुई २५००० परिवार नदियों को साथ लेकर पुनः पश्चिमाभिमुख होती हुई जम्बू द्वीप के कोट के द्वार से निकलकर लवण समुद्र में प्रवेश करती है।
रोहित के माह के दक्षिण द्वारा से निकल कर सीधी महाहिमवन् के तट पर्यन्त (५२६६६८४२१०१६- १००० = ३९१०५३÷२) १६०५९६ योजन आगे जाकर हैमवत क्षेत्र स्थित कुण्ड में गिरती है। वहीं से निकलकर हैमवत क्षेत्र के मध्य में स्थित श्रद्धावान नाभिगिरि को आधा योजन छोड़ पूर्वाभिमुख होती है । पश्चात् दक्षिणाभिमुख होती हुई २००० परिनदियों से संयुक्त हो पुनः पूर्वाभिमुख होती हुई जम्बूद्वीप के बिल द्वार से लवण समुद्र में प्रवेश करती है ।
हरिकान्ता नदी महापद्म ग्रह के उत्तर द्वार से निकल कर सीधो महाहिमवन् के तट पर्यन्त पूर्वोक्त प्रमाण १६०५ हे योजन लागे जाकर हरिक्षेत्र स्थित कुण्ड में गिरती है। वहाँ से निकल कर हरिक्षेत्र के मध्य स्थित विजटा (विजय) वान् नाभिगिरि को आधा योजन छोड़ प्रदक्षिणा रूप पश्चिमाभिमुख होती है । पश्चात् उत्तराभिमुख होनी हुई ५६००० परिवार नदियों से संयुक्त हो, पुनः पश्चिमाभिमुख होती हुई जम्बूद्वीप के बिल में प्रवेश कर लवण समुद्र में प्रवेश करती है।
हरित् नदी पर्वत के विग्रिन्छ द्रह के दक्षिण द्वार से निकल कर निषेध के तट पर्यंत ( ५२६६१३२ - १६८४२ परे २००० = १४८४२६ ÷ ९) ७४२११६ योजन आगे जाकर हरिक्षेत्र के हरित कुण्ड में गिरती है। वहीं मे निकल कर हरिक्षेत्र में स्थित विजयवान् नाभिगिरि के प्रदक्षिण रूप से पूर्व की ओर जाती है। पश्चात् दक्षिणाभिमुख होती हुई ५६००० परिवार नदियों से युक्त पुन: पश्चिम की ओर जाकर जम्बूद्वीप की जगती के बिल में प्रवेश करती हुई, लवण समुद्र में प्रवेश करती हैं ।
सोतोदा नदी तिमिञ्छ ह्रद के उत्तर द्वार से निकलकर निषेध के तट पर्यन्त पूर्वोक्त प्रमाण ७४२१२४ योजन जागे आकर और विदेहक्षेत्र स्थित प्रति सीतोद नामक कुण्ड में गिरकर उसके उत्तर तोरण द्वार से निकलती हुई उत्तर मार्ग से मेरु पर्यन्त जाकर उसे आधा योजन छोड़ती हुई पश्चिम की ओर मुड़ जाती है । पश्चात् उत्तराभिमुख होती हुई भद्रशाल वन में प्रवेश करती है । पुन: पश्चिमाभिमुख होती हुई देवकुरु क्षेत्र में उत्पन्न ८४००० + १६८००० (६ विभङ्गा की सहायक ) तथा अपर विदेह क्षेत्र सम्बन्धी ४४५०३५ अर्थात् कुल (८४००० + १६८००० + ४४८०३८) ७०००३८ परिवार नदियों से संयुक्त होती हुई जम्बूद्वीप की जगती के बिल द्वार से जाकर लवण समुद्र में प्रवेश करती है ।
सोता नदी नील पर्वत के केसरी हृद के दक्षिण द्वार से निकलकर नील पर्वत के तट पर्यन्त पूर्वोक्त प्रमाण ७२१हे योजन आगे जाकर विदेह क्षेत्र स्थित सोता कुण्ड में गिरती है। वहां से निकल कर दक्षिणाभिमुख होती हुई मेरु पर्वत तक आती है, तथा मेरु पर्वत को आधा योजन दूर