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त्रिलोकसाय
गाथा:
-सुदर्शन मेरु +-मध्य के ४ प्रदेश-इन ४ प्रदेशों के नीचे ४ प्रदेश ऊंचाई (धन) की अपेक्षा मध्यप्रदेश बने हुए हैं । कपर नीचे के दो प्रदेशों का एक स्तन बनता है, इस प्रकार आठ प्रदेशों के चार स्तम बन गये। अतः ये प्रदेश गोस्तनाकार कहलाते हैं।
विशेष ज्ञातव्य :--(१) लोकाकाश, अलोकाकाश के मध्य भागमें स्थित है, अतः जो अलोकाकाश के ८ मध्य के प्रदेश है, वे ही आठ प्रदेश लोकाकाश के भी मध्य प्रदेश बन जाते हैं, तथा सुदर्शन मेरु के नीचे ठीक मध्य में ये आठ प्रदेश स्थित हैं, अतः सुमेरु का मध्य भी इन आठ प्रदेशों पर ही होता है।
(२) क्षेत्र परिवर्तन का प्रारम्भ गोस्तनाकार इन आर मध्य के प्रदेशों से होता है। जघन्य अवगाहना वाला सूक्ष्मनिगोदिमा जीव अपने आठ मध्य के प्रदेशों को इन आठ मध्य प्रदेशों पर स्थापित कर जन्म लेता है। जितने आकाश प्रदेशों को वह रोकता है, उतनी ही बार अपने आठ मध्य प्रदेशों को इन पर स्थापित कर जन्म लेता है।