SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 535
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ * नदतिर्यग्लोकाधिकार ४६१ यद् उगाया है। प्रकीरांक आदि क्षुद्र कमलों का प्रमाण अत्यधिक है। उन कमल पुष्पों पर जितने भवन कहे गये है, उतने ही वहीं नानाप्रकाश के रस्तों से निर्मित जिन मन्दिर भी है। ति० प० ४ । १६९२ गाथा : ५७७-७८-७९ सिरिगिल मदरहिं सोहम्मिदस्स सिरिहिरिधिदीओ | किती बुद्धी लच्छी ईसाणविस्म देवीयो || ५७७ || श्रीग्रल मितरगृहं सौधर्मेन्द्रस्य श्रीह्रीधृतयः । कीर्ति बुद्धिलक्ष्म्य: ईशानाधिपस्य देव्यः ॥ ५७७ ॥ सिरि। श्रोह्यासादिप्रमाणार्थ इतरगृहव्यासादिप्रमाणं स्यात्। श्रीह्नोतयः सौबगास्य देभ्यः श्री सिद्धिलक्ष्यः ईशानाधिपस्य देयः स्युः ॥ ५७७ ॥ गावार्थ ::- श्री देवी के गृह का जितना व्यासादि है, परिवारदेवों के ग्रहों के व्यास अत्रि का प्रमाण उससे आधा बाधा है। श्रो, हो और धृति ये तीन सोधर्मेन्द्र की देवकुमारियाँ है तथा कीर्ति, बुद्धि और लक्ष्मी ये तीन ईशानेन्द्र की देवकुमारियाँ हैं । ५०७ ॥ अथ तेषु सरोवरेषु समुत्पन्न महानदीनां संज्ञा गाधाद्वयेनाह सरजा गंगासिंधू रोहि तहा रोहिदास नाम नदी । हरि हरिकंता सीदा सीदोदा पारि णरकंता ॥ ५७८ ।। सरिदा सुवणरूप्यकूला रचा तहेव रचोदा | वावरेण कमसो णामिगिरिपदक्खोण गया ||५७९ ॥ सरोजाः गङ्गा सिन्धु रोहित्तथा रोहितश्या नाम नदी । हरित हरिकान्ता सीता सीतोदा नारी नरकान्ता ॥ ५७८ ॥ सरितः सुवर्णरूप्यकुळा रक्ता तव रक्तोदा | पूर्वापरेण क्रमशो नाभिगिरिप्रदक्षिणेत गाः ॥७९॥ सरजा । सरसि जाताः गङ्गासिन्धू रोहिसथा रोहितास्या मामा नबी हरिहरिकान्ता सोता सोतोदा नारी नरकान्ता ॥ ५७८ ॥ सरिवा | सुरकूला रूप्यकूला रक्ता तथैव रक्तोवा । एसाः सरितः क्रमशः पूर्वोक्तः पूर्वमुखेनावक्ता: प्रपरमुखेम नाभिगिरिप्रदक्षिणेन गताः ॥ ५७६ || अब उन सरोवरों से उत्पन्न हुई महानदियों के नाम दो गाथाओं द्वारा कहते हैं : गाथार्थ :- गङ्गा, सिन्धु, रोहित, रोहितास्या, हरितु, हरिकान्ता, सीता, सोतोदा, नारी, नरकान्ता, सुबकूला, रूप्यकुला, रक्ता और रक्तोदा ये चौदह महानदियाँ पद्मादि सरोवरों से निकली
SR No.090512
Book TitleTriloksar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, Ratanchand Jain, Chetanprakash Patni
PublisherLadmal Jain
Publication Year
Total Pages829
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy