SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 534
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ त्रिलोकसार गाथा:५७-५७६ इस प्रकार श्री देवी का अवस्थान और उनके परिवार कमलों की कुल संख्या का प्रमाण एवं चित्रण निम्न प्रकार है - श्री देवी के सम्पूर्ण परिवार कमलों का प्रमाण निम्न प्रकार है-अलरक्षक १६०..+ सामानिक ४०..+ अभ्यन्तर पारिपद् ३२०००+ मध्यम परिषद् ४०...+वाय पारिषद् ४८०००+प्रातिहार ... और+७ अनीक= १४०११५ परिवार कमल हैं यदि इनमें सातों कक्षाओं का प्रमाण जोर दिया जावे तो कुल परिवार समूह का प्रमाण ( ३५५६७००+१४०११५) = ३६६६११५ प्राप्त होता है। हिमवान से लेकर निषध पर्वत पर्यन्त कमलों का विष्कम्प और उसेष मादि दूने दूने प्रमाण वाला है । परिवार कमलों का प्रमाण भी दूना दूना है। देवकुमारियों के भवनों का व्यास आदि एवं परिवार कमलों का प्रमाण। भवनों की क्रमांक देव कुमारियां । तीनों पारिषद देव ईशान- | वायव्य | कोण में तन रक्षक सामा | मध्य में बाय निक देव अभ्यन्तर ' परिषद आग्नेय भिसा में मैऋत्य | पश्चिम में अनीक देव आठों दिशाओं में प्रतिहार कुल योग चाई ___ चौड़ाई पारिषद पारिषद पारिपद १३ | कोश र, श्री |१ को ३ को ४ को.। ४.०० | १६... ' ३९.०० ४०००. ४८००० २ ह्री २ को। १ । ८०.० ३२०.० ६४.० ८... ९६००० | २८०२३० ३ धृति ४ को.२ को ६४००० १२८०००,५६००० १९२००० ५६०४६० ४कीति । २ | ३ | १६०.०' ६४.०० १२८००० १६०... १९२००० ५६०४६० बुद्धि २ | १ ३ २००० | ३२.०० ६४००० ५०००० १६००० २८०२३० . लक्ष्मी । । ।३ ४००० | १६.०० । ३२००० ४०००० ४८००. ५ | १०८ : १.११५
SR No.090512
Book TitleTriloksar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, Ratanchand Jain, Chetanprakash Patni
PublisherLadmal Jain
Publication Year
Total Pages829
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy