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त्रिलोकसार
कमल का विस्तार बताने वाली प्रक्षेप गाथा
गाथार्थ :--पद्मद्रद् के मध्य में कमलनाल की ऊँचाई ४२ कोस और मोटाई एक कोस प्रमाण
है। उसका मृगाल तीन कोस मोटा और रजतव का है ।। ५७० ||
विशेष :-- -पद्मद्रहकी गहराई १० योजन है । गाथा ५७० में कहा गया है कि कमलनाल जल से अर्थ योजन प्रमाण ऊपर है, इसी से यह सिद्ध होता है कि कमल माल की कुल ऊँचाई १०३ योजन है। तभी तो वह सरोवर की १० योजन की गहराई को पार करती हुई आधा योजन जल से ऊपर है । यही बात प्रक्षेप गाथा ( ५७० ) कह रही है। इस गाथा में नाल की ऊंचाई ४२ कोश कही गई है जिसके १०१ योजन होते हैं ।
कमल, कमल नाल एवं कमल कणिका का उत्सेधादि :
त्रमांक
सरोवरों के
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पद्मद्रह का
महापद्मद्रह का
तिगिक्छ
४ केसरी
2 महापुण्डरीक ६ पुण्डरीक
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कमल
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कमलों का
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उत्संघ | व्याव जलमग्न
जल के ऊपर 1
१ योजन १ यो० १० यो० ३ यो० १ कोश १ कोश
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अथ तनिवासिनीनां देवीनां नामानि तासां स्थितिपूर्वकं यत्परिवार चाह - सिरिद्दिरिधिदिकिती य बुद्धीलच्छी य पल्लठिदिभाओ । लक्खं चचसहस्सं सयदहपण पउमपरिवारा ।। ५७२ ।।
पाचा ३७२
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मृणाल का बाहुल्य
३ कोश
६ कोश
१२
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६
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17
श्री ह्रीवृतिः कीर्तिः अपि च बुद्धिः लक्ष्मीः च पल्यस्थितिकाः । लक्षं चत्वारिंशसहस्रं शतदशपश्च पद्मपरिवारः ।। १७२ ।। सिरि। बीहोसिमी तिबुद्धिलक्ष्म्याख्या द्देभ्यः पत्यस्थितिकाः एवं अक्षं चत्वारिंशत्सहस्रारिण पनप्रमारणानि कमलस्य परिवारपद्मानि १४०११५ ।। ५७२ ॥