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________________ त्रिलोकमा पापा : १६९ चौड़ाई गहराई क्रमांक ऊंचाई लम्बाई | सरोवर .यो।। मीलों में | यो में मौलों में योजनों में मीलों में योजनों में मीलों में ४०००० । हिम. १.४०००.. | पन १०००/४000000 | ५.० | २०००००० महा० २००८००००० महापद्म २००५८०.०००० | १०.० ४. ..... ३ निषध ४०० १६००.०० तिगिञ्छ ४८०.१६००००० २००० ००० ४ नील ४००१६००००० केशरी ४०००१६०००००० २००० ८०००००० ४ रुक्मो |२००८००000 महा- २...८०००००० '१००० ४...००. पुण्डरीक शिश्चरिन् १०.४.०००० पुण्डरीक १.००४०००००० ५०० २००००." १६०००० 20000 ४.००० ___ अथ सेषां कमलानां विशेषस्वरूप गाथाद्वयेनाह णियगंधवासियदिसं वेलुरियविणिम्मिउच्चणालजुदं । एक्कारसहस्सदलं गववियसियमस्थि दहमज्झे ।। ५६९ ॥ निजगन्धवासितदिशं वैडूर्यविनिमितोचनालयुतम् । एकादशसहस्रदलं नवविकसितमस्ति ह्रदमध्ये ॥ ५६६ ।। रिणय । निजगन्धवासितविशं वैडूर्यविनिमितोचनालयुत एकामोत्तरसहस्रवलं मवविकसितं पृथ्वीसाररूपं कमल सेषां ह्रवानां मध्ये प्रस्ति ॥ ५६६ ॥ दो गाथाओं द्वारा उन कमलों के विशेष स्वरूप को कहते हैं : गामा :--अपनी सुगन्ध से सुवासित की हैं दिशाए जिसने, तथा . जो वैडूर्यमणिसे निर्मित ऊंची नाल से संयुक्त है ऐसा एक हजार ग्यारह पत्रों से युक्त नवविकसित कमल के सदृश पृथ्वीकायिक कमल सरोवर के मध्य में है॥ ५६९ ।। विशेषार्ष:-प्रथम पद्म सरोवर के मध्य में जो कमल है, वह पृथ्वी स्वरूप है, उसको नाल अंची और वैडूर्यमरिण से बनी हुई है। उसके पत्रों की संख्या १०११ है और उसका आकार नवविकसित कमल सरश है।
SR No.090512
Book TitleTriloksar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, Ratanchand Jain, Chetanprakash Patni
PublisherLadmal Jain
Publication Year
Total Pages829
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size19 MB
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