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गाथा ५६८
निरातर्यग्लोकाधिकार
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वासायामोगाढं पणद सदसमहदपवदुदयं खु । कमलस्सुदभो वासो दोविय गाहस्स दसभागो ॥ ५६८॥ व्यासायामागाधाः पञ्चदशदशमहतपर्वतोदयाः खलु ।
कमलस्योदयः व्यास: दावपि गाधस्य दशमागौ ॥ ५६८ ॥ वासा । तेषी हवामा पाप्तायामागाधा यथासंख्य पञ्चगुरिणतयशगुणितशमभाग हतपर्वतोमा १००।२००। ४००।४००१२०० । १.० खलु । ध्या. ५००=पा.१०.२०१० तत्रस्थकमलयोवण्यासौ तु द्वावपि ततध्रयाना गावामभागो जातम्यौ ॥ ५६८ ॥
उन सरोवरों के व्यासादिक का प्रतिपादन करते हुए वहां स्थित कमलों का स्वरूप कहते हैं:
___पापा:-पर्वतों के ( अपने अपने ) उदय (ऊँचाई ) को पांच से गुणित करने पर द्रहों का व्यास, दस से गुरिणत करने पर द्रहों का आयाम और दस से भाजित करने पर द्रहों की गहराई प्राप्त होती है । द्रहों में रहने वाले कमलों का व्यास एवं उदय ये दोनों भी ग्रहों की गहराई के दस भाग प्रमाण हैं ।। ५६८ ॥
__विशेषार्थ:-उन सरोवरों का व्यास, आयाम और गहराई का प्रमाण अपने २ पर्वतों की . ऊंचाई के प्रमाण को क्रमशः ५ और १० से गुणित करने पर तथा १० से भाजित करने पर प्राप्त होता है, तथा सरोवरों में स्थित कमलों का ध्यास और उदप भी सरोवरों को गहराई के दशवें भाग प्रमाण है यथा :-हिमवान् पर्वत की ऊंचाई १०० यो• है, अतः उस पर स्थित पद्मद्रह की लम्बाई ११००४१.)=१००. योजन, चौड़ाई (१००४५)=५०० यो और गहराई (१.१०) . योजन प्रमाण है। इस पद्मद्रहमें रहने वाले कमल की ऊँचाई एवं चौड़ाई दोनों ( १०:०)- एक एक योजन प्रमाण है । (१) महाहिमवान् पर्वत की ऊँचाई २०० योजन है, अतः उस पर स्थित महापद्म सरोवर की लम्बाई ( २००x१.)- २००० योजन, चौड़ाई (२००४५)= १००० योजन और गहराई ( २०० : १०)=२० योजन प्रमाण है। इस द्रह में रहने वाले कमल की ऊंचाई और ध्यास दोनों (२०-१०-२, १ योजन प्रमाण है। निषध पर्वत की ऊंचाई ४०० यो है. अतः उस पर रहने वाले तिगिञ्छ द्रह की लम्बाई ( ४००x१.)=४००० योजन, चौड़ाई ( ४४७४५) = २... यो और गहराई (४.१.)-४० योजन प्रमाण है। इसमें स्थित कमल की ऊंचाई और व्यास दोनों (४०-१०)=४, ४ योजन प्रमाण है। कुलाचलों का उदय एवं सरोवरों के व्यास आदि का प्रमाण :
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भागरूपहन (ब.प.)।