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________________ गाया : ५३० freeोकाधिकार गाथार्थ :- सोधर्मादि दो, दो, तीन चतुष्कों ( चार, चार चार एवं मरण का असर कम से सात दिन एक पक्ष, एक माह दो माह होता है ।। ५२९ ।। ४५१ और शेष विमानों में जन्म चार माह और छह माह का विशेषार्थ :- उत्कृष्टता से जितने काल तक किसी भी जीव का जन्म न हो उसे जन्मान्तर और मरण किसी का न हो उसे मरणान्तर कहते हैं, सोघर्मेशान इन दो कल्पों में यदि कोई भी जीव जन्म न ले तो सात दिन पर्यन्त न ले, इसके बाद अवश्य ही कोई न कोई जीव जन्म लेगा । इसी प्रकार वहाँ मरण का अन्तराल भी सात दिन हो है । सानरकुमार आदि दो कल्पों में एक पक्ष, ब्रह्मादि चार स्वर्गों में एक माह शुक्र मादि चार स्वर्गो में दो माह, आनतादि चार स्वर्गो में चार माह और प्रवेयकादि उपरिस विमानों में जन्मान्तर और मरणान्तर छह माह का है । उपर्युक्त उतरविले किन्तु ८५४४-५४८ के अनुसार सौधर्म में छह मुहूर्त, ईशान में ४ मुहूर्त, सानत्कुमार में ६ दिन माहेन्द्र कल्प में १२ दिन, ब्रह्मकल्प में ४० दिन महाशुक में दिन, सहस्रार कप में १०० दिन आनतादि चार कल्पों में संख्यात सौ वर्ष नौवेयकों में संख्यात हजार वर्ष, अनुदिश और अनुत्तरों में पल्य के असंख्यातवें भाग जम्म मरसा का उत्कृष्ट अन्तर है । अथेन्द्रादीनामुरकृष्टान्तरमाह वरविरहं अम्मा इंदमहादेविलोयपालाणं । 3 तेवीससुराणं सरकखसमाणपरिमाणं ।। ५३० ॥ परविरहं षण्मासं इन्द्रमहाद विलोकपालानाम् । चतुः त्रयस्त्रिसुराणां नुरक्षसमानपारिषदानाम् ||५३०॥ वरविरहं । इन्द्राणां तन्महादेवीनां लोकपालामा चोरकृष्टेन विरहकाल षण्मासं जानीहि । श्रयस्त्रिशत्सुरारगां तनुरक्षाणां सामानिकानां पारिषदानां च चतुर्मासं विरहकाल जानीहि ॥ ५३० ।। इन्द्रादिकों का उत्कृष्ट अन्तर- गाथार्थ :- इन्द्र, इन्द्र की महाद ेवी और लोकपालों का उत्कृष्ट विरहकाल छह माह का, तथा श्रायस्त्र, सामानिक, तनुरक्षक और पारिषद देवों के जन्म मरण का उत्कृष्ट अन्तर चार माह का है ।। ५३० ।। विशेषार्थ :- इन्द्र, इन्द्र की महादेवी और लोकपाल का मरण होने के जीव उस स्थान पर जन्म न ले तो अधिक से अधिक ६ माह तक नहीं लेगा। इसी सामानिक, तनुरक्षक और पारिषद देत्रों का उत्कृष्ट विरह-काल चार माह है। बाद कोई अन्य प्रकार शास्त्रश
SR No.090512
Book TitleTriloksar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, Ratanchand Jain, Chetanprakash Patni
PublisherLadmal Jain
Publication Year
Total Pages829
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size19 MB
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