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________________ गाया। ५१३ वैमानिकलोकाधिकार अप्रदेवियों परिवार देवांगनाएं वैकियिक शरीर स्थान । का प्रमाण | एक महा आठों महा देवीको देवांगनाओं एक महा देवी की | आठों महा दे० को १६००० १२८००० २५६... सौधर्मशान | ८,८ सास-मा. ब्रह्मा-ब्रह्मो. ८ लामा ५१२.०. २००० १२८००० । मूल शरीर युक्त १६... ६४.०० ३२००० २००० - १२०० - २५३००० | " . . ५१२००० |. . . १.२४००० | १६००० शुक्र-महा. Coo. २०४८००० पातासह ४.१६००० मालतादि rA १९२००. सय परिवारदेवीषु बल्लभिकाप्रमाणं निरूपयति--- सत्तपदे बन्लमिया वतीसह व दो सास्साई । पञ्चसयं भद्धं तेस्सड्डी होंति सचममे ॥ १३ ॥ सप्तपत्रेषु वल्लमिका द्वात्रिषदष्टव दो सहस्राणि । पञ्चशतानि अर्घा, विषष्टिः भवन्ति सप्तमके ॥ ५१३ ।। सत्तपरे । सप्तसु पोषु बल्लभिका द्वानिशस्महस्राणि मसहस्राणि विसहवाणि परमतानि पाव सप्तमे स्याने त्रिवाधिबल्लमिका भवन्ति ॥ ५१३ ॥ परिवारदेवांगनाओं में वल्लभा देवांगनाओं के प्रमाण का निरूपण गायार्थ:--सातों पदो' (स्थानों) में वल्लभादेवियों का प्रमाण कमशः बसीस हजार, आठहजार, दो हजार और पांच सौ है। इससे आगे अर्थ अधं प्रमाण है । अन्तिम सातवें स्थान में मात्र १३. ५३ हो वल्लभा देवांगनाएं है ॥ ५१३ ।। विशेषा:-परिवार देवांगनाओं में से जो जो देवांगनाएं इन्द्र को अतिपिय होती है उन्हें बल्लभा कहते है। सातों स्थानों में इनका प्रमाण क्रमशः ३२...200०,२०००, ५००, २५०, ११५ और ६३ है।
SR No.090512
Book TitleTriloksar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, Ratanchand Jain, Chetanprakash Patni
PublisherLadmal Jain
Publication Year
Total Pages829
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size19 MB
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