________________
४३६
गणिकामहत्तरीणां पुराण्याद्द
गणिकामहरीणं पुराणि तत्थेव पिहूदी |
विदिसासु लक्खजोयणवित्थारायामसहियाणि ।। ५०५ || गणिकामहत्तरीणां पुराणि तत्रैव अग्निप्रभृतिषु । विदिशासु लक्षयोजनविस्तारायनसहितानि ॥ ५०४ ॥
सिका । गणितामहल रोग। पुराखि सय स्थाने प्रग्निप्रभृतिषु विविक्षु समयोजन विस्तारामामसहितानि सन्ति ।। ५०५ ॥
वहीं गणिका महत्तरियों के नगर है, ऐसा कहते हैं
गावार्थ :- वहीं आग्नेय आदि विदिशालों में गणिका महारियों के एक लाख योजन दे चोड़े नगर है ।। ५०५ ॥
तासां मामाश्याह-
विशेषार्थ :- जहाँ लोकपाल देवों के नगर हैं, वहीं माग्नेय आदि विदिशाओं में प्रधान गणिका देवाङ्गनाओं के नगर । जो एक एक लाख योजन लम्बे चौड़े हैं। अर्थात् समचतुष्कोण हैं। यथा :
Mo Wa
वरण
Miss
त्रिलोकसाथ
WAT
Crime
पुस
मले
यम
Tapai
---------.
शु
वन
पापा : ५०५-५०६
M
HEWI
तामो चउरो सग्गे कामा कामिनि य पउमगंधा य । तो होदि अलंबूसा सव्विदपुराणमेस कमो || ५०६ ।।
•
.
D