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________________ ४३० त्रिलोकसार अथ दक्षिणोतरेन्द्राणामानीकनायकान् गाथाद्वयेनाह गाषा : ४९६-४९७-४१६ दामेडी हरिदामा मादलि अहरावदा महवरया । बाउयरिडजसा नीलंजणया दक्खिणिदाणं || ४९६ ॥ दामयष्टिः हरिदामा मातलिः ऐरावतो महत्तरः । वायुः अरिष्ट्या नीलाञ्जना दक्षिणेन्द्राणाम् ॥ ४६६ ॥ वामेडी दामटवामा मातलिरेशयतो महत्तरश्च वापुररिनृपशा इस्येते पुरुषाः नीलाजति स्त्री एते दक्षिणेवारगां सेनामुख्याः ॥ ४९६ ।। दक्षिणेन्द्र और उत्तरेन्द्र के अनीक नायकों को दो गाथाओं द्वारा कहते हैं : पापा:-क्षिणेन्द्र ( सौधर्म ) की सेना के प्रधानों का नाम क्रम से दामयष्टि हरिक्षामा मावलि, ऐरावत, बायु अरिष्टयशा और नीला खना है ।। ४६६ ॥ विशेषार्थ :- दक्षिणेन्द्र को वृषभ सेना के प्रधान का नाम दामयष्टि, तुरङ्ग सेना का हरियामा रथ का मातलि गज सेना का ऐरावत पयादों का वायु, गन्धर्व सेना का अरिष्टयशा और नर्तकी सेना नीलाञ्जना है। इनमें क्रम से ग्रह पुरुषवेदी और सातवीं नीलाञ्जना स्त्री 1 के प्रधान का नाम वेदी है। महदामेडि मिदगदी रहमंथन पुष्कयंत इदि कमसो । सलघुपरकपगीदरदि महासुसेणा य उत्तरिंदाणं ।। ४९७ ।। महदामयष्टिः अमितगतिः रसमन्यन: पुष्पदन्त इति क्रमशः । सलघु पराक्रमो गीततिः महासुसेना चोत्तरेन्द्राणाम् || ४९७ ।। महामे । महादामयष्टिरमितगतिः स्वमंथन: पुष्पवन्त इति क्रमशः सलघुपराक्रमी गीतरसि रिश्येते पुरुषाः महासेनेति स्त्री एते उत्तरेन्द्राण सेनामुख्याः ॥ ४९७ ॥ पापा:- उत्तरेन्द्र की सेना के प्रधानों का नाम क्रमशः महादामयष्टि, अमितगति, रथमन्थन, पुष्पदन्त, सलघुपराक्रम, गीतरति और महासुसेना है । ४६७ ॥ विशेषार्थ :- उत्तरेन्द्र ( ईशान ) की घृषभ सेना के प्रधान का नाम महादामयष्टि तुरङ्ग सेना का श्रमितगति, रथ का रथ मन्यन, गजसेना का पुष्पदन्त, पयादों का सलघुपराक्रम, गन्धर्व सेना का गीत रति और नर्तकी सेना का महासेना है। इनमें क्रम से छह पुरुष वेदी हैं और सातवीं महासेना स्त्री वेदी है। अथ परिषत्त्रयसंख्यामरह बारस चोट्स मोस सस्स अन्यंतरादिपरिसाओ । तत्थ सहस्सदुउण्णा दुसहस्सादो हु अर्द्ध ।। ४९८ ||
SR No.090512
Book TitleTriloksar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, Ratanchand Jain, Chetanprakash Patni
PublisherLadmal Jain
Publication Year
Total Pages829
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size19 MB
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